लाइव न्यूज़ :

9 करोड़ डॉलर की क्रिप्टो गलती से पहुंच गई यूजर्स के पास, अब सीईओ लौटाने की लगा रहा गुहार

By विनीत कुमार | Updated: October 5, 2021 10:03 IST

DeFi प्लेटफॉर्म 'कंपाउंड' में आए एक बग ने उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। दरअसल, प्लेटफॉर्म की गलती से कई यूजर्स को 9 करोड़ डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी मिल गई। अब इसे लौटाने की गुहार लगाई जा रही है।

Open in App
ठळक मुद्देDeFi प्लेटफॉर्म 'कंपाउंड' में आए एक बग से इसके कई यूजर्स को लगभग 9 करोड़ डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी मिल गई।पिछले हफ्ते बुधवार को 'कंपाउंड' को अपडेट करने के बाद ऐसा बग यूजर्स के पास पहुंचा। कंपाउंड COMP नाम का एक टोकन (क्रिप्टोकरेंसी) देता है जो कई यूजर्स को बड़ी संख्या में मिल गया।

नई दिल्ली: विकेन्द्रीकृत वित्तीय प्लेटफॉर्म 'कंपाउंड' (Compound) के हालिया अपडेट के बीच एक बग (तकनीकी गलती) की वजह से इसके कई उपयोगकर्ताओं को गलती से लगभग 9 करोड़ डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी मिल गई। हालात ये हैं कि अब इसके सीईओ यूजर्स से इसे अपनी इच्छा से लौटाने की गुहार लगा रहे हैं।

पारंपरिक वित्त प्रणाली को बेहतर बनाने की बात करने वाले क्रिप्टोक्यूरेंसी प्लेटफॉर्म के लिए ये आंखे खोल देने वाली घटना जैसी है। दरअसल DeFi प्लेटफॉर्म में बैंक या अन्य बिचौलिए नहीं होते हैं। इसमें पूरा लेन-देन कंप्यूटर कोड के आधार पर होता है। क्रिप्टोरेंसी समर्थकों का हमेशा कहना रहा है कि ये पारंपरिक तरीकों से बेहतर है।

वहीं, इसके आलोचक मानते हैं कि जब भी कोड को लेकर ऐसी गलतियां हुई हैं, इसके परिणाम भयावह रहे हैं।

अमेरिकन फॉर फाइनेंशियल रिफॉर्म के एक वरिष्ठ नीति विश्लेषक एंड्रयू पार्क के अनुसार, 'मौजूदा बैंकिंग प्रणाली की आलोचना करने के कारण हैं लेकिन इस तरीके में कई सारे सुरक्षा उपाय भी हैं जिसकी मदद से ऐसी गलतियां रोकी जाती है।' उन्होंने कहा, 'अगर मेरा पैसा कंपाउंड के पास है, तो मैं उस सिस्टम में कितना भरोसा कर सकूंगा।'

कंपाउंड से हुई गलती कोई नई बात नहीं है। पिछले महीने एक क्रिप्टो प्रोजेक्ट कई घंटों के लिए ब्लैक आउट हो गया था। इसी साल अगस्त में एक हैकर ने एक अलग DeFi प्रोजेक्ट में सेंधमारी करते हुए 600 मिलियन डॉलर मूल्य के टोकन ले लिए थे। हालांकि बाद में उसे हैकर ने लौटा दिया था।

कंपाउंड पर क्या हुई गलती?

इसी हफ्ते DeFi प्लेटफॉर्म कंपाउंड पर ये गलती हुई। कोई भी DeFi प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को क्रिप्टोकरेंसी को उधार देने और ब्याज हासिल करने की अनुमति देता है। BlockFi Inc. जैसी कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे ऐसे ही प्लेटफॉर्म के विपरीत कंपाउंड एक सेंट्रल कंपनी द्वारा नहीं चलाया जाता है बल्कि यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं के नेटवर्क द्वारा संचालित है। 

कंपाउंड COMP नाम का टोकन (क्रिप्टोकरेंसी) भी वितरित करता है, जो उपयोगकर्ताओं को यह बताता है कि प्रोटोकॉल कैसे काम करता है और जिसकी कीमत शुक्रवार को लगभग 319 डॉलर प्रति सिक्का थी।

मुश्किल बुधवार को उस समय शुरू हुई, जब यूजर्स ने कंपाउंड प्लेटफॉर्म के अपडेट को अपने डिवाइस पर मंजूरी दी। इसमें दरअसल एक बग था। कंपाउंड लैब्स इंक. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉबर्ट लेशनर ने ट्विटर पर बताया कि बग की वजह से कुछ उपयोगकर्ताओं को बहुत अधिक COMP मिल गया। अब चूंकि प्लेटफटर्म पर किसी प्रकार का केंद्रीय अधिकार नहीं है और वेटिंग पीरियड की जरूरत है, तो ऐसे में न उनकी कंपनी और न ही किसी और के पास टोकन के वितरण को रोकने की क्षमता है।

टॅग्स :क्रिप्टो करंसी
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारभारतीय कानून के तहत संपत्ति के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता, मद्रास उच्च न्यायालय का अहम फैसला

भारतकेंद्रीय मंत्रिपरिषद 2024-25ः मोदी सरकार के इस मंत्री ने पत्नी के साथ क्रिप्टोकरेंसी में किया निवेश, कई मंत्रियों के पास बंदूक और रिवॉल्वर, देखिए कौन सबसे अमीर

कारोबारCryptocurrency Donald Trump: क्रिप्टो करेंसी के व्यापार पर सवार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प परिवार

कारोबारBitcoin : इतिहास में पहलीबार बिटकॉइन 120,000 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को कर गया पार

कारोबारभारत में क्रिप्टो नियमन की कमी: कानून प्रवर्तन के सामने बढ़ती चुनौतियां

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

कारोबारIndiGo Crisis: 1000 से अधिक विमान कैंसिल?, रेलवे ने यात्रियों को दी बड़ी राहत, कई स्पेशल ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी, जानिए टाइम टेबल

कारोबारईपीसी क्षेत्रः 2030 तक 2.5 करोड़ से अधिक नौकरी?, 2020 के बाद से भर्ती मांग में 51 प्रतिशत की वृद्धि

कारोबारIndiGo Crisis: हवाई किराए मनमानी पर सख्ती, केंद्र सरकार का एक्शन, सभी रूट पर कैप?

कारोबारसवाल है कि साइबर हमला किया किसने था ?