विदेशों में तेजी, त्योहारी मांग से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

By भाषा | Updated: July 18, 2021 11:13 IST2021-07-18T11:13:39+5:302021-07-18T11:13:39+5:30

Oil-oilseeds prices improve last week due to spurt in foreign countries, festive demand | विदेशों में तेजी, त्योहारी मांग से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

विदेशों में तेजी, त्योहारी मांग से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 18 जुलाई विदेशों में तेजी के रुख के साथ त्योहारी मांग निकलने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली और पामोलीन सहित सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ में रहे।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी रहने से स्थानीय कारोबार पर इसका अनुकूल असर हुआ। इसके अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह की मांग बढ़ने से भी कीमतों में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरकार ने देश में खाद्य तेलों के बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के मकसद से सीपीओ और सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क में 100-100 डॉलर की कमी की, लेकिन इसका असर उल्टा ही हुआ और विदेशों में इन तेलों के दाम बढ़ा दिये गये। इसके अलावा देश में पामोलीन के आयात को छूट देने से घरेलू तेलशोधक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और ये इकाइयां बंद होने के कगार पर पहुंच सकती हैं।

सरकार के इस फैसले का मकसद देश में तेल के भाव को नरम करना और इसकी उपलब्धता बढ़ाना था पर इसका लाभ सिर्फ विदेशी कंपनियों को मिलता दिख रहा है।

बाजार सूत्रों का मानना है कि सरसों दाने की कमी की वजह से देश में लगभग 40-50 प्रतिशत पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं जबकि सोयाबीन के बीज की कमी की वजह से लगभग 60-65 प्रतिशत सोयाबीन तेल संयंत्र बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है, बल्कि तेल मिलों के पास बहुत सीमित मात्रा में स्टॉक है। आगे अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों के मौसम की मांग और बढ़ने ही वाली है, जबकि सरसों की अगली फसल आने में लगभग सात-आठ महीने की देर है।

सूत्रों ने कहा कि सरसों दाने की किल्लत को देखते हुए सहकारी संस्था हाफेड को अभी से बीजों के लिए सरसों की खरीद बाजार भाव पर कर लेनी चाहिये, ताकि ऐन बिजाई के वक्त कोई परेशानी न हो।

सरसों दाने की कमी होने की वजह से सलोनी, आगरा और कोटा में इसका भाव पिछले सप्ताह के 7,700 रुपये से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 7,900 रुपये क्विन्टल हो गया।

‘ऑफसीजन’ होने के साथ गुजरात की मांग बढ़ने से बीते सप्ताहांत के मुकाबले बिनौला की कीमतों में सुधार देखने को मिला।

उन्होंने कहा कि मुर्गी दाने की दिक्कत को देखते हुए महाराष्ट्र में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का भाव पिछले सप्ताह के 6,500 रुपये से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताह में 7,100 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।

सूत्रों ने कहा कि डीओसी की किल्लत को देखते हुए सरकार को आगामी अक्टूबर महीने तक इसके निर्यात पर रोक लगानी चाहिये ताकि इसकी स्थानीय मांग को पूरा किया जा सके। अक्टूबर में नई फसल की आवक हो जायेगी।

सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद मलेशिया में सीपीओ और शिकॉगो में सोयाबीन डीगम के भाव काफी मजबूत हो गये। जिसका सीधा असर घरेलू तेल कीमतों और पामोलीन तेल कीमतों पर देखा गया। मांग बढ़ने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल में पर्याप्त सुधार आया।

बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 195 रुपये का लाभ दर्शाता 7,595-7,645 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 7,380-7,430 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 490 रुपये बढ़कर 15,000 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।

सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 70-70 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 2,445-2,495 रुपये और 2,545-2,655 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 300-300 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 8,000-8,050 रुपये और 7,895-7,995 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड), सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 650 रुपये, 900 रुपये और 600 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,800 रुपये, 14,650 रुपये और 13,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

स्थानीय मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना 225 रुपये के सुधार के साथ 5,795-5,940 रुपये, मूंगफली गुजरात 500 रुपये सुधरकर 14,250 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 75 रुपये के सुधार के साथ 2,195-2,325 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 660 रुपये के सुधार के साथ 11,120 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। विदेशों में दामों में आई मजबूती के कारण पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल का भाव 550 और 450 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 13,000 रुपये और 11,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि देश में लगभग 70 प्रतिशत खाद्य तेलों की आवश्यकता को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए तेल की इस भारी कमी को पूरा करने के लिए सीधा और टिकाऊ रास्ता यही है कि वह तिलहन उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन और भरोसा देकर तिलहन उत्पादन को बढ़ाये। खाद्य तेलों के आयात पर सरकार को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। इस अहम खाद्य वस्तु की 70 प्रतिशत जरूरत पूरी करने के लिए आयात पर निर्भरता देश के हित के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

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Web Title: Oil-oilseeds prices improve last week due to spurt in foreign countries, festive demand

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