नयी दिल्ली छह अक्टूबर बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में विदेशी भागीदारी की अनुमति देने के लिए सरकार को किसी कानून में संशोधन करने की आवश्यकता नहीं हो सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि इसके लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों और मौजूदा क्षेत्रीय एफडीआई दिशानिर्देशों के अनुसार विदेशी भागीदारी की अनुमति दी जाएगी।
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के अलावा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को बीमा अधिनियम, आईआरडीए अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों द्वारा भी नियंत्रित किया जाता है। ये सभी नियम बीमा क्षेत्र नियामक आईआरडीएआई द्वारा कार्यान्वित किए जाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि बीमा क्षेत्र में विदेश निवेश या भागीदारी के लिए नियमों में यदि किसी बदलाव की आवश्यकता होगी, तो सरकार प्रासंगिक नियमों में संशोधन कर सकती है।
एलआईसी की सूचीबद्धता के लिए सरकार ने इस साल की शुरुआत में जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 में संशोधन किया था। संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार आईपीओ के बाद पहले पांच वर्षों के लिए एलआईसी में कम से कम 75 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी, और बाद में सूचीबद्धता के पांच साल बाद हर समय समय कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगी।
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