स्वास्थ्य व्यय और कोविड नतीजों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं: रिपोर्ट
By भाषा | Published: November 30, 2020 11:17 PM2020-11-30T23:17:26+5:302020-11-30T23:17:26+5:30
मुंबई, 30 नवंबर कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा मद में खर्च बढ़ाने की मांग के बीच एक रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को कहा कि बढ़े हुए स्वास्थ्य व्यय और कोविड-19 संबंधित नतीजों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने विभिन्न राज्यों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को इस मोर्चे पर अनुकूल परिणामों के लिए स्थानीय नौकरशाही को प्रेरित करने, बुनियादी ढांचे के बेहतर इस्तेमाल और स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च, खासतौर से सार्वजनिक व्यय, बढ़ा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सभी विकसित देशों से स्वास्थ्य सेवा नीति को प्राथमिकता देने के लिए कहा है।
एजेंसी ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्राथमिकताओं के रूप में होनी चाहिए।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करती हैं, हालांकि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत स्वास्थ्य मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है और कुल व्यय का 70 प्रतिशत राज्यों द्वारा किया जाता है।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार दिल्ली, पूर्वोत्तर राज्य (असम छोड़कर), आंध्र प्रदेश, केरल, असम असम और उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रति व्यक्ति सरकारी व्यय अधिक है। जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति खर्च कम है।
लेकिन एजेंसी के आंकड़े को देखा जाए तो अखिल भारतीय स्तर पर 10,000 की अबादी पर मौत एक है जबकि दिल्ली में यह अनुपात 4.7 है। वहीं असम में प्रति 10,000 आबादी पर 0.3 है।
इसी प्रकार, महाराष्ट्र में प्रति 10,000 आबादी पर डॉक्टरों की संख्या 14.1 है जबकि राष्ट्रीय औसत 8.9 है। लेकिन महाराष्ट्र में प्रति 10,000 आबादी पर मौत 3.8 है।
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