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भारत के खिलाफ न्यायाधिकरण के निर्णय को अमल में लाने को उठाये जा रहे हैं जरूरी कदम: केयर्न

By भाषा | Updated: May 11, 2021 21:04 IST

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नयी दिल्ली, 11 मई ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने मंगलवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश के अनुसार 1.7 अरब डॉलर हासिल करने के लिये सभी जरूरी कदम उठा रही है। न्यायाधिकरण ने भारत सरकार द्वारा पूर्व की तिथि से कर मांग को खारिज करते हुए कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था।

कंपनी ने 1994 में भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश किया था और एक दशक बाद उसने राजस्थान में बड़े स्तर पर तेल की खोज की थी। वर्ष 2006 में उसने अपनी भारतीय संपत्ति को बीएसई में अधिसूचित कराया। पांच साल बाद सरकार ने पूर्व की तिथि से कर लगाने का कानून पारित किया और कंपनी पर पुनर्गठन को लेकर कर, ब्याज और जुर्माना समेत 10,247 करोड़ रुपये की मांग की।

सरकार ने इस मांग की वसूली के लिये केयर्न की भारतीय इकाई में बचे हुए शेयर को भुनाया, लाभांश जब्त कर लिया तथा कर वापसी रोक ली।

केयर्न ने हेग स्थित मध्यस्थता न्यायाधिकरण में इस कदम के विरोध में अपील दायर की। न्यायाधिकरण ने दिसंबर 2020 में भारत के खिलाफ केयर्न के 1.2 अरब डॉलर (8,800 करोड़ रुपये से अधिक) के दावे के साथ लागत और ब्याज के रूप में कुल 1.725 अरब डॉलर (12,600 करोड़ रुपये) लौटाने को कहा।

केयर्न एनर्जी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) साइमन थॉमसन ने कंपनी के शेयरधारकों की सालाना बैठक में कहा, ‘‘पिछले साल दिसंबर में न्यायाधिकरण ने भारत सरकार के खिलाफ हमारे दावे के पक्ष में फैसला दिया। इसके तहत हमें भारत सरकार से 1.2 अरब डॉलर के साथ ब्याज और लागत का पैसा देने को कहा।’’

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संधि कानून के तहत यह आदेश बाध्यकारी है।

सीईओ ने कहा, ‘‘भारत ने आदेश को चुनौती दी है.... लेकिन हमें अपने रुख और स्थिति पर भरोसा है और भारत सरकार के साथ रचनात्मक बातचीत कर रहे हैं। इसके साथ ही हम फैसले को लेकर अपने अधिकारों के संरक्षण तथा यथाशीघ्र राशि प्राप्त करने के लिये जरूरी कदम उठा रहे हैं।’’

हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। पूर्व में केयर्न ने आदेश के अनुसार राशि की वसूली के लिये विदेशों में भारत के नियंत्रण वाली संपत्ति जब्त करने की चेतावनी दी थी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने इस बात को दोहराया था कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने भारत के कर लगाने के संप्रभु अधिकार पर निर्णय देकर गलत उदाहरण पेश किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार इस बात पर ध्यान दे रही है कि कैसे बेहतर तरीके से मामले को निपटाया जाए।

सरकार ने हेग स्थित न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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