MSMEs rule: कल से नया नियम, भुगतान 45 दिनों में नहीं करती हैं, तो कर कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी, जानें क्या है नियम और कैसे होगा असर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 31, 2024 05:37 PM2024-03-31T17:37:09+5:302024-03-31T17:37:47+5:30

MSMEs rule: उद्योग संगठनों ने सरकार से नये भुगतान नियमों के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आग्रह किया है।

MSMEs rule Timely payment to MSMEs rule enforced from April 1 New rule from tomorrow if payment is not made within 45 days not be able to claim tax deduction | MSMEs rule: कल से नया नियम, भुगतान 45 दिनों में नहीं करती हैं, तो कर कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी, जानें क्या है नियम और कैसे होगा असर

सांकेतिक फोटो

Highlightsनए नियम में एमएसएमई के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है।बड़े खरीदार एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं के प्रति उदासीन हो सकते हैं। आपूर्तिकर्ता को भुगतान की स्थिति में कर अगले वर्ष समायोजित किया जा सकता है।

MSMEs rule: सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को समय पर भुगतान के लिए आयकर नियम सोमवार से अमल में आएगा। इसके तहत कंपनियां अगर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए एमएसएमई को भुगतान 45 दिनों में नहीं करती हैं, तो भुगतान पर कर कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी यानी उन्हें अधिक कर का भुगतान करना होगा। वित्त अधिनियम 2023 के माध्यम से पेश आयकर अधिनियम की धारा 43 बी (एच) के अनुसार यदि कोई बड़ी कंपनी एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं करती है... लिखित समझौतों के मामले में 45 दिनों के भीतर... तो वह उस खर्च को अपने कर योग्य आय से नहीं काट सकती है। इससे उन्हें अधिक कर देना पड़ सकता है। कुछ उद्योग संगठनों ने सरकार से नये भुगतान नियमों के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आग्रह किया है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एफआईएसएमई) का कहना कि नए नियम में एमएसएमई के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है। एमएसएमई को डर है कि इस प्रावधान के कारण, बड़े खरीदार एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं के प्रति उदासीन हो सकते हैं। वे या तो उन एमएसएमई से खरीदारी शुरू कर सकते हैं जो उद्यम के साथ पंजीकृत नहीं हैं या फिर गैर-एमएसएमई से जरूरत का सामान ले सकते हैं। एफआईएसएमई ने यह स्वीकार किया कि धारा 43बी(एच) ने एमएसएमई और बड़े व्यवसायों दोनों के बीच कुछ आशंकाएं पैदा की हैं।

हालांकि ‘ऐसी आशंकाएं निराधार हैं।’ उद्योग संगठन ने कहा, ‘‘भरोसेमंद आपूर्तिकर्ताओं को सिर्फ इसलिए बदलना क्योंकि एक बड़ी कंपनी उन्हें समय पर भुगतान नहीं करना चाहती है, हास्यास्पद है। किसी भी स्थिति में इस तरह की देरी पर आपूर्तिकर्ता को भुगतान की स्थिति में कर अगले वर्ष समायोजित किया जा सकता है।

यह वाणिज्यिक गतिविधियो में अनुशासन लाएगा।’’ एफआईएसएमई ने कहा कि दूसरी ओर आशंकाओं के बावजूद, धारा 43बी (एच) में एमएसएमई के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है। इसमें कहा गया है कि एमएसएमई को तेजी से भुगतान मिलेगा, जो उनके वित्तीय स्थिति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

संगठन ने कहा, ‘‘यह प्रावधान बड़ी कंपनियों के साथ भुगतान शर्तों पर बातचीत करते समय एमएसएमई की स्थिति को मजबूत करता है। समय पर भुगतान बकाया राशि पर संभावित विवादों और कानूनी समस्याओं को कम कर सकता है। यह एमएसएमई परिवेश में अधिक पारदर्शी और जवाबदेह कारोबार गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।’’

इस बीच, भारतीय निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीदे गए सामान के लिए 45 दिन के भीतर भुगतान नियम से छूट दी जाए क्योंकि इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में प्रमुख निर्यात संवर्धन परिषदों और भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के प्रमुखों ने निर्यात कंपनियों को आयकर कानून की धारा 43बी (एच) से छूट देने की अपील की है।

Web Title: MSMEs rule Timely payment to MSMEs rule enforced from April 1 New rule from tomorrow if payment is not made within 45 days not be able to claim tax deduction

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