विधायक राजेश ऋषि ने किया तरुण राज की किताब का विमोचन, सफल उद्यमियों की कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 22, 2023 08:07 PM2023-04-22T20:07:21+5:302023-04-22T20:07:53+5:30
बिग फुट पब्लिकेशन के माध्यम से प्रकाशित इस किताब में बीस अत्यंत सफल उद्यमियों की जीवनी समाहित है। विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर एवं सीरियल उद्यमी तरुण राज अरोड़ा ने अपनी किताब ‘हार के उस पार’ लॉन्च की। न्यूज एंकर ऋचा अनिरुद्ध ने तरुण राज अरोड़ा से उनकी किताब 'हार के उस पार' को लेकर उनसे विस्तारपूर्ण चर्चा की। जनकपुरी से आप विधायक राजेश ऋषि भी मौजूद रहे।
कार्यकम दिल्ली स्थित हयात होटल में 19 अप्रैल को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। बिग फुट पब्लिकेशन के माध्यम से प्रकाशित इस किताब में बीस अत्यंत सफल उद्यमियों की जीवनी समाहित है। यह किताब इन सभी जाने माने उद्यमियों के संघर्ष तथा उस संघर्ष पर प्राप्त की गयी विजय को रेखांकित करती है।
किताब को तथ्यात्मक सम्पन्नता प्रदान करने के लिए आवश्यक अनुसंधान का कार्य श्वेता शर्मा ने किया है। इसी के साथ साथ इस किताब का संपादन भारत के जाने माने लेखक तथा गीतकार प्रबुद्ध सौरभ द्वारा किया गया है। किताब की भूमिका लिखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल के. जे. सिंह ने तरुण राज अरोड़ा को किताब की सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।
इसी के साथ साथ इस अनोखे विषय को पाठकों के मध्य रखने के लिए तरुण राज अरोड़ा की प्रशंसा भी की। कार्यक्रम की शुरुआत में किताब के लिए अनुसंधान का कार्य करने वाली श्वेता शर्मा ने अपने विचार प्रकट किये। उनका कहना है कि निश्चित रूप से यह किताब पाठकों के लिए अत्यंत उपयुक्त साबित होगी।
उन्होंने किताब की रोचकता पर भी इस समय प्रकाश डाला। किताब के संपादक देश के लोकप्रिय शायर, लेखक तथा गीतकार प्रबुद्ध सौरभ ने इस किताब को लेकर शायरी के अंदाज़ में चर्चा की। अपने शायराना अंदाज़ में उन्होंने सफलता के सूत्र भी बताएं। किताब की सरल भाषा तथा अनोखे विषय पर उन्होंने अधिक ज़ोर देकर अपनी बात रखी।
इस मौके पर जनकपुरी के विधायक राजेश ऋषि भी सपत्नीक उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि इस समय दुनिया को मोटिवेशन की सर्वाधिक आवश्यकता है और ऐसे समय में तरुण राज अरोड़ा की इस किताब का अत्यधिक महत्व है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके क्षेत्र जनकपुरी के एक मोटिवेशनल स्पीकर तरुण राज अरोड़ा ने इस किताब को लिखा है।
इस समारोह में प्रसिद्ध युट्यूबर गौतम खट्टर भी उपस्थित रहे। गौतम ने अपने उद्बोधन में बताया कि यह किताब निश्चित ही भारत के उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बनेगी। किताब का अभ्यासपूर्ण लेखन निश्चित ही पाठकों के लिए परिस्थितियों को देखने का एक नया दृष्टिकोण देगा ऐसा विश्वास गौतम ने जताया।
इस कार्यक्रम में बाल संत के रूप में प्रसिद्ध अभिनव अरोड़ा ने अपने अनोखे अंदाज़ में किताब को लेकर अपने भाव प्रकट किये। विविध पौराणिक कथाये, आध्यात्मिक श्लोक तथा रोचक धार्मिक प्रसंगों द्वारा अभिनव ने अपनी बात रखी। इसके बाद कार्यक्रम को मनोरंजन तथा हास्य की फुहारों से भरने के लिए देश के प्रसिद्ध हास्य कलाकार विभोर चौधरी ने अपनी प्रस्तुति थी।
उनकी हास्य परक प्रस्तुति में विद्यमान प्रेरक भावना ने सबका ध्यान आकर्षित किया। ऋचा अनिरुद्ध के साथ चर्चासत्र के दौरान तरुण राज अरोड़ा ने किताब के अनोखे नाम तथा इस नवीनतम विषय के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यहाँ हर व्यक्ति केवल और केवल सफतलता के विषय में बात कर रहा है।
यदि आप फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर केवल दस मिनट भी समय बिताएं तो एक पोस्ट या एक रील तो सफलता को लेकर मिल ही जायेगी लेकिन असफलता पर कोई बात नहीं होती। इस विषय पर और ज़ोर डालते हुए तरुण ने कहा कि सफलता एक ऐसी इमारत है जो असफलता की ईंटों पर खड़ी है।
उन्हें बार बार ये लगता रहा है कि असफलता पर कोई चर्चा नहीं करता और इसलिए उन्होंने असफलता जैसा लगभग त्याज्य विषय अपने लेखन के लिए चुना। तरुण ने इस बात को रेखांकित किया की सफलता का हर मार्ग कभी न कभी असफलता से होकर गुज़रता है। लगभग चार घंटे चले इस कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध संचालिका योगिता सिंह ने की।
किताब की विशेषताएं बताते हुए तरुण ने कहा की यह केवल बीस उद्यमियों की जीवनी नहीं है। बल्कि उनकी सफलताएं, विफलताएं और उनकी रणनीतियों का सार्थक अभ्यास है। तरुण बताते हैं कि यह वे उद्यमी हैं जिन्हें आज लगभग दुनिया की कुल आबादी में नब्बे प्रतिशत लोग जानते हैं। लेकिन इन सब ने कभी न कभी गुमनामी, हार या स्वीकार्यता जैसी चीज़ों का सामना किया है।
हार के उस पार का दर्शन करवाने का प्रयास ही उनकी यह किताब है ऐसा तरुण राज अरोड़ा ने बताया। छह महीनों से अधिक की कड़ी मेहनत, अभ्यास, अनुसंधान व लेखन से बनी इस किताब को तरुण राज अरोड़ा ने अपने पिता देहदानी मुल्क राज अरोड़ा को समर्पित किया।
तरुण राज अरोड़ा का कहना है कि किताब की सार्थकता तभी होगी जब पाठक अपने जीवन में इस किताब से ली गयी सीख को उतार सकेंगे। किताब का अंतिम पृष्ठ पढ़ने के बाद यदि इन पाठक के जीवन में कोई सकारात्मक बदलाव आ सकें तो इस किताब उद्देश्य पूरा होगा।