आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका, मुद्रास्फीति बढ़ी, औद्योगिक उत्पादन घटा, शेयर बाजार धड़ाम, रुपये में बड़ी गिरावट

By भाषा | Published: April 12, 2021 09:42 PM2021-04-12T21:42:28+5:302021-04-12T21:44:41+5:30

खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने और ईंधन महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दर मार्च में बढ़कर 5.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका चार माह का उच्चस्तर है।

Modi government economic suffered inflation increased industrial production declined stock market collapsed | आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका, मुद्रास्फीति बढ़ी, औद्योगिक उत्पादन घटा, शेयर बाजार धड़ाम, रुपये में बड़ी गिरावट

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इससे पिछले माह फरवरी में 5.03 प्रतिशत पर थी।

Highlightsखुदरा मुद्रास्फीति अभी रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में बनी हुई है।सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। खुदरा कीमतों में सबसे अधिक 24.92 प्रतिशत की वृद्धि ‘तेल एवं वसा’ खंड में रही।

नई दिल्लीः आर्थिक मोर्चे पर सोमवार का दिन अच्छा नहीं रहा। एक तरफ जहां खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में उछलकर चार महीने के उच्च स्तर 5.52 प्रतिशत पर पहुंच गयी, वहीं औद्योगिक उत्पादन में लगातार दूसरे महीने गिरावट रही और फरवरी में यह 3.6 प्रतिशत घट गया।

कोरोना वायरस महामारी की नई लहर चलने के बीच जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में सुधार आने की गति को लेकर चिंता बढ़ी है। इतना ही नहीं कोविड-19 संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच निवेशकों की घबराहटपूर्ण बिकवाली से सोमवार को सेंसेक्स 1,708 अंक का गोता लगा गया।

जनवरी में इसमें 0.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी

वहीं, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे और टूटकर नौ महीने के निचले स्तर 75.05 रुपये प्रति डॉलर पर पहुच गया। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के जरिये मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन फरवरी में 3.6 प्रतिशत गिर गया। इससे पहले जनवरी में इसमें 0.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

फरवरी में खनन और विनिर्माण दोनों क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गयी। इसके साथ कुछ राज्यों में कोविड-19 संक्रमण के मामले में तेजी से बढ़ोतरी और उससे औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने से 2020-21 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर तेज रहने को लेकर आशंका बढ़ी है। नीति निर्माताओं ने जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर बेहतर रहने का अनुमान जताया है। इससे वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना वृद्धि दर में गिरावट 7.5 से 8 प्रतिशत तक सीमित रहने की संभावना जतायी गयी है।

फरवरी 2020 में वृद्धि 16 महीने के उच्च स्तर पर थी

खाद्य वस्तुओं के दाम में वृद्धि और ईंधन की कीमत में तेजी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 5.52 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 5.03 प्रतिशत थी। मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ऊर्जा क्षेत्र की महंगाई दर को छोड़कर) मार्च 2021 में उछलकर 29 महीने के उच्च स्तर 5.96 प्रतिशत पर पहुंच गयी। फरवरी 2021 में 5.88 प्रतिशत तथा मार्च 2020 में 3.95 प्रतिशत थी। हालांकि, आईआईपी में फरवरी में गिरावट का कारण तुलनात्मक आधार हो सकता है। फरवरी 2020 में वृद्धि 16 महीने के उच्च स्तर पर थी।

लेकिन लगातार दूसरे महीने विनिर्माण उत्पादन में गिरावट जरूर चिंता का विषय है। आर्थिक मोर्चे पर गिरावट ऐसे समय हुई जब एक दिन में कोविड-19 संक्रमण के रिकार्ड 1,68,912 मामले सामने आये हैं। महामारी को फैलने से रोकने के लिये महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्य पहले ही आंशिक रूप से ‘लॉकडाउन’ लगा चुके हैं। वृहद आर्थिक आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में तेजी का कारण त्योहार और दबी हुई मांग का सामने आना था।

सरकार और आरबीआई को मांग को समर्थन देते रहना होगा

भारत अभी भी सतत आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते से दूर है। उसने कहा, ‘‘औद्योगिक उत्पादन के दो प्रमुख संकेतक प्राथमिक और मध्यवर्ती वस्तुओं की वृद्धि का प्रतिरूप अल्पकाल से मध्यम अवधि में हल्के औद्योगिक प्रदर्शन का संकेत देते हैं.... इसका मतलब है कि सरकार और आरबीआई को मांग को समर्थन देते रहना होगा।’’

इंडिया रेटिंग्स के अनुसार निम्न वृद्धि दर के साथ उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति बने रहने की आशंका है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 2021-22 में मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख बनाये रखने की जरूरत होगी। एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि ‘लॉकडाउन’ के कारण आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित होने से कीमत में आगे और वृद्धि होती है, रुपये की विनिमय दर में गिरावट बनी रहती है तथा जिंसों के दाम बढ़ते हैं तो यह जोखिमपूर्ण हो सकता है और आरबीआई के समक्ष नीतिगत मामले में चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है।

फरवरी, 2021 में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आयी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 4.94 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने यह 3.87 प्रतिशत थी। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर विचार करता है। उसे खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। इधर, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 77.63 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में फरवरी, 2021 में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आयी।

माह के दौरान खनन उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की कमी आयी जबकि बिजली उत्पादन 0.1 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल फरवरी महीने में आईआईपी में 5.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। इस बीच, निवेशकों की घबराहटपूर्ण बिकवाली के बीच बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,707.94 अंक या 3.44 प्रतिशत के नुकसान से 47,883.38 अंक पर आ गया।

सेंसेक्स में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट

यह 26 फरवरी के बाद सेंसेक्स में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 524.05 अंक या 3.53 प्रतिशत के नुकसान से 14,310.80 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार में सोमवार को आई इस गिरावट से निवेशकों को करोड़ा रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ।

शेयर बाजार में आई गिरावट का असर अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भी देखा गया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और बाजार में बड़ी गिरावट से सोमवार को रुपये में लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट आई और यह 32 पैसे और टूटकर 75.05 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले नौ माह के बाद रुपया इस स्तर पर पहुंचा है। 

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