एयर इंडिया और सिंगल ब्रांड रिटेल के लिए एफडीआई का रास्ता साफ, आम आदमी होगा कितना प्रभावित?

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 10, 2018 08:10 PM2018-01-10T20:10:19+5:302018-01-10T20:11:17+5:30

मोदी कैबिनेट ने एयर इंडिया में 49% और सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% निवेश को मंजूरी दी है। अब इन क्षेत्रों पर टिकी हैं निगाहें...

Modi cabinet cleares FDI policy in Air India and single brand retail, all you need to know in Hindi | एयर इंडिया और सिंगल ब्रांड रिटेल के लिए एफडीआई का रास्ता साफ, आम आदमी होगा कितना प्रभावित?

एयर इंडिया और सिंगल ब्रांड रिटेल के लिए एफडीआई का रास्ता साफ, आम आदमी होगा कितना प्रभावित?

10 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया। कैबिनेट ने एफडीआई नियमों में बदलाव करते हुए एयर इंडिया में 49 प्रतिशत और सिंगल ब्रांड रिटेल (एकल ब्रांड खुदरा कारोबार) में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। इसके अलावा ऑटोमेटिक रूट से विनिर्माण क्षेत्र में भी 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी है। सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% एफडीआई के बाद अब केंद्र सरकार जल्द ही रक्षा, इंश्योरेंस, पेंशन, सिविल एविएशन और फार्मा सेक्टर में एफडीआई निवेश का रास्ता आसान कर सकती है।

इस फैसले का क्या असर पड़ेगा?

सरकार ने एफडीआई की पॉलिसी में छूट देने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य अधिक विदेशी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों के सृजन का रास्ता साफ होगा। एयर इंडिया में 49 प्रतिशत एफडीआई इसकी माली हालत सुधारने में सहायक साबित होगी।

 कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी देने का फायदा आम आदमी को सस्ते घर के तौर पर मिल सकता है। 2016-17 में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 43.48 अरब डॉलर था। नए फैसले के जरिए सभी नियम और शर्त को पूरा करने के लिए आपको केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे एफडीआई बढ़ सकता है।

एफडीआई किसे कहते हैं?

एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। किसी एक देश की कंपनी जब दूसरे देश में प्रत्यक्ष रूप से निवेश करती है तो उसे एफडीआई कहते हैं। इसके बदले निवेशक को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा मिल जाता है। एफडीआई से विदेशी निवेशक और निवेश हासिल करने वाले कंपनी यानी दोनों को फायदा होता है। निवेशक एफडीआई के जरिए नए बाजार में एंट्री कर फायदा कमाता है तो वहीं विदेशी निवेशकों को टैक्स पर भारी छूट मिल जाती है।

चरणबद्ध तरीके से लागू करना होगा

2005 के एक उदाहरण से समझिए। जब केंद्र सरकार ने रियल इस्टेट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी तो प्रॉपर्टी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। इस महंगाई की वजह बाद में साफ हुई। दरअसल, विदेशी निवेश की अनुमति मिलने पर लग्जरी और सुपर लग्जरी फ्लैट पर फोकस रहा और घरों के दाम आसमान छूने लगे।

एकबार फिर से वैसी स्थिति उत्पन्न ना हो इसके लिए सरकार को नजर बनाकर रखना होगा। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी तब ही फायदेमंद साबित होगी, जब विदेशी निवेश को चरणबद्ध तरीके से देश में लागू किया जाएगा और इसका फोकस लग्जरी सेगमेंट के साथ ही उन कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर भी हो, जो मध्यमवर्गीय लोगों के लिए किफायती घर दिलाने के लिए अहम हैं।

 

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