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7000 करोड़ और 73वें स्थान तक सीमित नहीं है स्विस बैंक के खुलासे का गणित 

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 3, 2018 20:30 IST

साल 2015 में भारत 75वें स्थान पर था और 2016 में 61वें स्थान पर, हालांकि साल 2007 तक स्विस बैंक में पैसा जमा करने के मामले में शीर्ष 50 देशों में था। साल 2004 में अब तक के उच्चतम 37वें स्थान पर था। 

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विभव देव शुक्ल

देश के आम लोगों और व्यावसायिक समूहों द्वारा स्विस बैंक में पैसा जमा करने के मामले में भारत 73वें स्थान पर आ चुका है। इसे लेकर देश भर में व्यापक स्टार पर चर्चा हो रही है लेकिन क्या वाकई में रिपोर्ट स्विस बैंक में भारत की जमा कुल राशि तक सीमित है ?

 साल 2016 में 44 प्रतिशत की तेज़ी के बाद भारत 88 स्थान पर आ गया था लेकिन स्विस नेशनल बैंक के ताज़ा आंकड़ों के आधार पर जमा की जाने वाली राशि में 50 फीसद की बढ़ोतरी के बाद कुल जमा राशि 7000 करोड़ रूपए हो चुकी है। साल 1996 से साल 2007 तक भारत शीर्ष 50 देशों में रहा लेकिन उसके बाद अपने स्थान से नीचे आना शुरू हुआ, 2008 में 59, 2009, 2010 और 2011 में एक बार फिर 55, 2012 मेँ 71, 2013 में 78।

 साल 2015 में भारत 75वें स्थान पर था और 2016 में 61वें स्थान पर, हालांकि साल 2007 तक स्विस बैंक में पैसा जमा करने के मामले में शीर्ष 50 देशों में था। साल 2004 में अब तक के उच्चतम 37वें स्थान पर था। 

 स्विस बैंक के आधिकारिक आंकड़ों में वह राशि शामिल नहीं है जो तमाम किसी दूसरे देश की नागरिकता वाले भारतीय या एन.आर.आई. रखते हैं। ऐसा आरोप भी लगाया जाता है कि विदेश में अक्सर भारतीय तमाम न्यायिक प्रणालियों के कई चरणों के सहारे स्विस बैंक में जमा राशि में इज़ाफ़ा करते हैं।

 फिलहाल स्विट्ज़रलैंड ने भारत व अन्य देशो के साथ एक आधुनिक सूचना साझा करने का तरीका तैयार किया है जिससे बैंक की विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी। वैसे ही स्विस बैंक में भारतीय लोगों द्वारा जमा की जाने वाली राशि में बढ़ोतरी ने विपक्ष को सरकार पर हमले का मौक़ा दे दिया है। जबकि सरकार के मुताबिक़ यह मान लेना गलत होगा कि स्विस बैंक में जमा पूरी राशि काला धन है और गलत करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होगी।

 BRICS  देशों में भारत सबसे निचले स्थान पर आता है। चीन बीसवें स्थान पर (160 बिलियन 2016 में साठ प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद), रूस 23वें स्थान पर (135 बिलियन 13  प्रतिशत की गिरावट के बाद), ब्राज़ील 61वें स्थान पर (1.9 बिलियन 28 प्रतिशत की गिरावट के बाद) और दक्षिण अफ्रीका 67वे स्थान पर (1.3 बिलियन 31 प्रतिशत की गिरावट के बाद) । इन पाँचों देशों में केवल भारत और चीन की राशि में इज़ाफा  देखने को मिला।

 भारत से नीचे मारीशस (77),बांग्लादेश (95), श्री लंका (108), नेपाल (112), वैतिकन सिटी स्टेट (122), ईराक (132), अफगानिस्तान (155), भूटान (203),  उत्तर कोरिया (205) और पलाउ (214) अंतिम स्थान पर है।

 स्विस नेशनल बैंक द्वारा "लायबिलिटी" और "अमाउंट ड्यू टू" के तौर पर बताई गई राशि बैंक का आधिकारिक आंकड़ा है। जो कि बेहद चर्चित स्विट्ज़रलैंड में रखे काले धन से अलग है।

 सभी देशों की बात की जाए तो स्विस बैंक में जमा कुल राशि 403 बिलियन यानी 27 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ इंग्लैण्ड का हिस्सा बैंक में सर्वाधिक है। इंग्लैण्ड की जमा राशि में इस साल 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

 छः प्रतिशत की गिरावट के साथ स्विस बैंक में अमेरिका की कुल जमा राशि 166 (स्विस बैंक में जमा कुल राशि का 11 प्रतिशत) बिलियन है। इन दो देशों के अलावा और किसी देश की राशि दो अंकों में नहीं है। इनके अलावा शीर्ष दस देशों में वेस्ट इंडीस, फ्रांस, होन्ग कोंग, बहामास, जर्मनी, लक्समबर्ग और केमैन आइसलैंड हैं।

 इनके अलावा स्विस बैंक में भारत से अधिक पैसा रखने वाले देशों में सिंगापुर, UAE, सऊदी अरब, पनामा, जापान, जर्सी, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, इटली, बेल्जियम, सिपरस, इज़रायल, मेक्सिको, बरमूडा, तुर्की, कुवैत, मार्शल आइलैंड, कनाडा, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, इसले ऑफ़ मैन , इंडोनेशिया, सिकलेस, गिब्रालतर, समोआ, फिलीपींस, न्यूज़ीलैंड, ईरान, कज़ाकस्तान और यूक्रेन हैं।

 बढ़ोतरी अगर प्रतिशत के हिसाब से देखि जाए तो 50 प्रतिशत बढ़ोतरी 23 वीं सबसे अधिक बढ़ोतरी थी। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई सोलोमन आइलैंड में 4000 प्रतिशत के साथ उसके बाद फरो आइलैंड 2200 प्रतिशत और अंत में ब्रिटिश इंडियन ओशियन टेरिटरी 1200 प्रतिशत।

100 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी वाले देश रहे मालदीव, ग्रेनाडा, तुर्कमेनिस्तान, लाओस, लिसोथो, क़तर, साबा, फेडरेटेड स्टेट ऑफ़ माइक्रोनेशिया, एकविकोरियाल गिनी और साओ तामे हैं।

विकसित देशों की भागीदारी दस प्रतिशत बढ़ कर 876 बिलियन हो गई है, वहीं विकासशील देशों की भागीदारी थोड़ी बढ़ोतरी के बाद 209 मिलियन हो गई।

(विभव देव शुक्ल लोकमत न्यूज में इंटर्न हैं।)

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