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जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिये सुरक्षा समूह की बोली को रिणदाताओं, घर खरीदारों की मंजूरी

By भाषा | Updated: June 23, 2021 20:28 IST

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नयी दिल्ली, 23 जून जेपी इफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के ग्राहकों का अपने घर का सपना पूरा होने की नयी उम्मीद जगी है। कर्ज के बोझ में डूबी इस कंपनी को उबारने की मुंबई के सुरक्षा समूह की योजना को बुधवार को वित्तीय रिणदाताओं और घर खरीदारों की मंजूरी मिल गई।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी और सुरक्षा समूह जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल थी।

दोनों कंपनियों के अधिग्रहण प्रस्ताव पर जेआईएल के वित्तीय ऋणदातओं के बीच दस दिन तक चली मतदान प्रक्रिया बुधवार दोपहर समाप्त हुई। इसमें 98 प्रतिशत से अधिक मत सुरक्षा समूह की बोली के पक्ष में पड़े हैं। पैसा देकर योजनाओं में घर की बुकिंग कराने वालों को भी वित्तीय ऋणदाता की श्रेणी में रखा गया है।

दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत ऋण समाधान प्रक्रिया के तरह रखी गयी जेआईएल के अधिग्रहण के लिये बोली सम्पन्न कराने में बार बार पेंच फसते रहे और यह इसका चौथा दौर था।

राष्ट्रीय कंपनी विधि प्रधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष जेआईएल के दिवालियापन के समाधान का मामला अगस्त 2017 से चल रहा है।

जेआईएल के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन ने पीटीआई- भाषा से कहा, ‘‘सुरक्षा समूह 98.66 प्रतिशत मतों के समर्थन के साथ बोली में सफल हुई है।’’

जेआईएल की समस्या के सफल समाधान से कंपनी के 20,000 से अधिक घर खरीदारों को राहत मिलेगी। जेआईएल की उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई आवासीय परियोजनायें हैं जो कि अटकी पड़ी हैं।

जेआईएल की रिणदाता समिति (सीओसी) में 12 बैंकों और 20 हजार से अधिक घर खरीदारों को मतदान का अधिकार है। समिति में घर खरीदारों को 56.63 प्रतिशत और रिणदाताओं को 43.25 प्रतिशत मतदान का अधिकार है। सावधि जमा धारकों को 0.13 प्रतिशत मताधिकार मिला हुआ है।

जेआईएल के रिणदाताओं का कंपनी पर 9,783 करोड़ रुपये का दावा है।

सीओसी द्वारा सुरक्षा समूह की पेशकश को मंजूरी दिये जाने के बाद प्रस्ताव को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी लेनी होगी।

सुरक्षा समूह ने अपने ताजा प्रस्ताव में बैंकों को 2,500 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है इसके साथ ही गैर- परिवर्तनीय बांड के जरिये 1,300 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है।

जेआईएल की सीओसी ने 10 जून को लक्षद्वीप इन्वेस्टमेंट्स एण्ड फाइनेंस प्रा. लि. (सुरक्षा समूह) के साथ सुरक्षा रियल्टी लिमिटेड और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड की बोली पर मतदान कराने का फैसला किया। ई-मतदान की प्रक्रिया 14 जून को शुरू हुई।

जेआईएल अगस्त 2017 को दिवाला प्रक्रिया के तहत आ गई थी। आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व में बैंक समूह ने एनसीएलटी में आवेदन किया था। दिवाला प्रक्रिया के पहले दौर में सुरक्षा समूह की कंपनी लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को रिणदाताओं ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मई- जून 2019 में हुये दूसरे दौर में सुरक्षा रियल्टी और एनबीसीसी की बोलियों को भी सीओसी ने खारिज कर दिया।

यह मामला पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) और उसके बाद उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि जेआईएल के अधिग्रहण के लिये केवल एनबीसीसी और सुरक्षा समूह से ही बोलियां आमंत्रित की जायें।

रिणदाताओं की समिति ने इसके बाद दिसंबर 2019 में तीसरे दौर की बोली में 97.36 प्रतिशत मतों के साथ एनबीसीसी की समाधान योजना को मंजूरी दे दी। मार्च 2020 में एनबीसीसी को एनसीएलटी से भी जेआईएल के अधिग्रहण की मंजूरी मिल गई। लेकिन एनसीएलटी के आदेश को एनसीएलएटी में चुनौती दी गई, मामला बाद में एक बार फिर उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। उच्चतम न्यायालय में इस साल 24 मार्च को केवल एनबीसीसी और सुरक्षा से नई बोलियां आमंत्रित करने का आदेश दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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