MS Swaminathan 7 August 1925-28 September 2023: एक युग का अंत!, जानें कौन थे कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 28, 2023 16:14 IST2023-09-28T16:11:47+5:302023-09-28T16:14:44+5:30
MS Swaminathan 7 August 1925-28 September 2023: देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे।

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MS Swaminathan 7 August 1925-28 September 2023: ‘हरित क्रांति’ के प्रणेता और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन हमारे बीच नहीं रहे। एक युग का अंत हो गया। हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर मोनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन (एमएस स्वामीनाथन) जैसा कि वे लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं।
आज सुबह लगभग 11:20 बजे उनके चेन्नई स्थित आवास पर निधन हो गया। एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन ने बताया कि मशहूर कृषि आइकन का पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज चल रहा था। प्रतिष्ठित यात्रा स्वामीनाथन 1960 के दशक के दौरान भारत में सामाजिक और कृषि क्रांति लाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार थे, जब देश अकाल जैसी स्थिति से जूझ रहा था।
रणनीतिक नीतियों को लागू करके और भारतीय जलवायु के अनुकूल उच्च उपज वाले बीज विकसित करके, उन्होंने भारतीय कृषि क्षेत्र में जमीनी स्तर पर बदलाव की लहर सुनिश्चित की। कृषि वैज्ञानिक ने 1961 से 1972 तक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक के रूप में कार्य किया।
MS Swaminathan, father of India’s Green Revolution, passes away
— ANI Digital (@ani_digital) September 28, 2023
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इसके बाद, उन्होंने 1972 से 1979 तक आईसीएआर में महानिदेशक और कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में कार्य किया। स्वामीनाथन 1979 से 1980 के बीच कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव का पद भी संभाला। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। उनकी एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक हैं।
1980 से 1982 तक उन्होंने योजना आयोग के कार्यवाहक उपाध्यक्ष, तत्कालीन सदस्य (विज्ञान और कृषि) के रूप में कार्य किया। बाद में 1982 से 1988 तक स्वामीनाथन ने फिलीपींस में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में महानिदेशक के रूप में कार्य किया, जिसे रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
1987 में उन्हें प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसके बाद स्वामीनाथन ने $200,000 की पुरस्कार राशि का उपयोग करके चेन्नई के तारामणि में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की स्थापना की। स्वामीनाथन को 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।
इस आयोग का उद्देश्य देश भर में आत्महत्या के चिंताजनक मामलों के बीच किसान संकट को पहचानना था। टाइम पत्रिका की समीक्षा के अनुसार स्वामीनाथन 20वीं सदी में एशिया के 20 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थे। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की थीं।
Deeply saddened by the demise of Dr. MS Swaminathan Ji. At a very critical period in our nation’s history, his groundbreaking work in agriculture transformed the lives of millions and ensured food security for our nation. pic.twitter.com/BjLxHtAjC4
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के निदेशक ए के सिंह ने कहा कि स्वामीनाथन के निधन से कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के एक ऐसे युग का अंत हो गया जो आसान नवाचार से भरा हुआ था।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और पी आर पांडियन सहित किसान संगठनों के नेताओं ने स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया। कांग्रेस ने उन्हें हरित क्रांति का प्रमुख वैज्ञानिक वास्तुकार बताया और कृषि क्षेत्र में उनके योगदान की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक दौर में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए एक कुशल संरक्षक भी थे। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’’ पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और कहा कि उन्हें कई मौकों पर उनकी सलाह से काफी लाभ मिला।
यहां एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना करने वाले स्वामीनाथन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा हरित क्रांति में उनके नेतृत्व को रेखांकित करते हुए उन्हें ‘‘आर्थिक पारिस्थितिकी का जनक’’ बताया गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि स्वामीनाथन ने 70 के दशक के मध्य तक भारत को चावल और गेहूं में आत्मनिर्भर बना दिया था।
उन्हें दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की 84 मानद डिग्री प्राप्त हुई थीं। वह ‘रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन’ और ‘यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक एकेडमी के फेलो रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हें स्वामीनाथन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय कृषि में उनके योगदान ने लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। हम उनके दृष्टिकोण को हर अवसर पर आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक जताया और कहा कि भारतीय कृषि की प्रगति और अर्थव्यवस्था में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत खेती और किसानों में लाए सकारात्मक बदलावों तथा खाद्य सुरक्षा में योगदान के लिए स्वामीनाथन को हमेशा याद रखेगा। स्वामीनाथन खाद्य सुरक्षा और कृषि से जुड़ी हर अहम पहल का हिस्सा थे और उन्होंने पोषण सुरक्षा के लिए मोटे अनाज पर ध्यान केंद्रित करने में भी अहम योगदान दिया।
वह 2007 से 2013 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव जेवियर पेरेज डी सुइलर ने उन्हें ‘‘ऐसी किवदंती बताया जिनका नाम दुर्लभ विशिष्टता वाले विश्व विख्यात वैज्ञानिक के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।’’
