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आरबीआई के नीतिगत दर को निचले स्तर पर बरकरार रखने से कंपनियों का भरोसा बढ़ेगा: उद्योग

By भाषा | Updated: August 6, 2021 20:05 IST

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नयी दिल्ली, छह अगस्त उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने तथा मौद्रिक नीति को लेकर नरम रुख बनाये रखने के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कंपनियों और ग्राहकों के बीच भरोसा बढ़ेगा।

केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर चार प्रतिशत पर बरकरार रखा। इसके साथ केन्द्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था के अभी तक पूरी तरह से कोविड-19 संकट से नहीं उबर पाने के कारण मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखने का भी फैसला किया। इस तरह से आरबीआई ने मुद्रास्फीति के ऊपर आर्थिक वृद्धि को तरजीह दी है।

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि कुछ उत्पादों के मामले में उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद केंद्रीय बैंक ने यथास्थिति बनाये रखी है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविड-19 के प्रभाव के बीच आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने और उसे सतत बनाये रखने के लिये नरम रुख बनाये रखने से कंपनियों और ग्राहकों के बीच भरोसा बढ़ेगा। यह उत्साहजनक है कि आरबीआई ने महामारी के कारण कठिन समय के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।’’

अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम बैंकों से आग्रह करते हैं कि वे रेपो दर में पिछले वित्त वर्ष के दौरान में जो भी कटौती हुई है, उसका लाभ उद्योग, कारोबारियों और ग्राहकों को दे। इससे मांग को गति मिलेगी और आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी।’’

उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि वृद्धि को प्राथमिकता देने और मौद्रिक नीति को लेकर नरम रुख बनाये रखने के लिये आरबीआई को पूरा श्रेय मिलना चाहिए।

एसोचैम ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से मुद्रास्फीति नरम होगी। इसका कारण यह है कि उस समय तक आपूर्ति से जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी। साथ ही मानसून ठीक गति से बढ़ रहा है। इसका खाद्य मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’’

उद्योग मंडल के अनुसार नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत के न्यूनतम पर बरकरार रखकर आरबीआई और सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वे शुरुआती पुनरुद्धार को आगे बढ़ाने के लिये साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

फिक्की ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये जबतक जरूरी हो, नरम रुख बनाये रखने की बात कही है।

उसने कहा, ‘‘ऐसे समय जब मौद्रिक नीति के सामान्य रास्ते पर लौटने की उम्मीद थी, आरबीआई का निर्णय राहत देने वाला है...।’’

उद्योग मंडल ने कहा कि पिछले साल घोषित समाधान रूपरेखा- एक के तहत वित्तीय मानदंडों को लेकर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समयसीमा को छह महीने तक बढ़ाने से दबाव झेल रही कंपनियों को राहत मिलेगी।

फिक्की के अनुसार, हालांकि जिस तरीके से कोविड स्थिति उभरी है, कुछ ज्यादा दबाव वाले क्षेत्रों को वित्तीय मानदंडों को पूरा करने के लिये और लंबी अवधि की जरूरत हो सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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