चीन और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के लिए बड़े बाजार हैं। इन दिनों दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर छिड़ा है। अमेरिका धमकी दे रहा था कि चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क यानी टैरिफ बढ़ा देगा और उसने ऐसा कर भी दिया। अमेरिका ने 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर टैरिफ दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दी। चीन ने अमेरिका को ऐसा करने पर खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी।
कई दिनों से चीनी प्रतिनिधि भी इस लड़ाई को सुलझाने के लिए अमेरिका में डटे हुए थे लेकिन हल नहीं निकला। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थानीय समय के अनुसार शनिवार को चीन को एक और चेतावनी दी कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक सौदे पर तत्काल प्रभाव से फैसला ले नहीं तो 2020 के बाद उसे बुरे नतीजे भुगतने होंगे। ट्रंप के मुताबिक उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने पर चीन को बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
अमेरिकी कदम से पहले चीन ने शायद उसका हल भी निकाल लिया है क्योंकि बीती 9 मई को चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक 'India to fill gap in China market amid trade row' है। इसका मतलब है कि ट्रेड विवाद के दौरान भारत चीनी बाजार की पूर्ति करेगा।
लेख में कहा गया है कि यह अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण सप्ताह है, जिसके दौरान उनके मतभेदों को चीन और भारत के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को बनाने के लिए एक अवसर के रूप में लिया जा सकता है। दक्षिण एशियाई राष्ट्र उन देशों में से है जो अमेरिकी उत्पादों द्वारा चीनी बाजार में बनी जगह को भर सकते हैं।
लेख में कहा गया है कि भारतीय पक्ष में सहयोग करने की प्रबल इच्छा है। लेख में द हिंदू बिजनेस के हवाले से लिखा गया है कि दोनों देशों के अधिकारियों ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी जिसमें भारत से कृषि वस्तुओं और कुछ अन्य वस्तुओं के चीन के आयात को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई थी।
लेख में कहा गया है कि चीन अपने हितों की रक्षा के लिए और अमेरिका द्वारा संभावित एकतरफा टैरिफ वृद्धि के खिलाफ पूरी तरह से तैयार है। अगर व्यापार विवाद के कारण कुछ कृषि उत्पाद आपूर्ति में कम हैं तो चीनी बाजार में भारत निर्मित उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाने का यह अवसर होगा। भारत ने चीन के बाजार में चीनी, चावल, अंगूर और उत्पादों की एक फेहरिस्त के साथ हाल के वर्षों में पहुंच बनाई है।
लेख में कहा गया है कि अमेरिका के साथ व्यापार विवाद ने चीन-भारत संबंधों में एक पुरानी बीमारी को दूर करने का मौका दिया है।
बता दें कि हाल में चीन ने मसूद अजहर मामले में भी भारत के लिए नरम रुख दिखाया और विश्व बिरादरी में जैश सरगना को वैश्विक आतंकी घोषित करने में वर्षों से लगे अड़ंगे को हटा लिया। अमेरिका से व्यापार में कटु संबंध होने पर भारत के लिए चीन में अपने उत्पादों को खपाने की संभावना बनी है तो पड़ोसी के लिए भी भारत लगभग सबसे बड़ा बाजार है और यह बात वह जानता है।
पुराना तजुर्बा यह कहता है कि अगर घर के आसपास के लोग आपसे खुश हैं तो दुश्मन आप पर हाथ डालने से पहले दस बार सोचेगा। शायद ऐसा ही इस वक्त चीन को महसूस हो रहा है।