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जीडीपी के आंकड़ों में फर्जी कंपनियां भी हैं शामिल!, जानिए क्या है पूरा मामला और क्यों मचा है विवाद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 9, 2019 14:47 IST

सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा है कि एक आधिकारिक समिति रिपोर्ट को समीक्षा करेगी और इन 'लापता कंपनियों' का जीडीपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।

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ठळक मुद्देNSSO की रिपोर्ट से जीडीपी की गणना पर फिर से शुरू हुआ विवादNSSO रिपोर्ट के अनुसार जीडीपी गणना जिस डाटाबेस के आधार पर की जा रही हैं, उसमें एक तिहाई कंपनी 'गायब'सरकार की सफाई, इससे मौजूदा जीडीपी आंकड़ों पर कोई असर नहीं होगा

सांख्यिकी मंत्रालय के अंदर आने वाले नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के हवाले से आई एक रिपोर्ट के बाद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना को लेकर विवाद मचा है। एनएसएसओ ने कहा है कि 2015 से भारत की जीडीपी गणना जिस डाटाबेस के आधार पर की जा रही है उसमें एक तिहाई कंपनियां या तो बंद हो गई हैं, या उनका पता नहीं चल रहा या फिर गलत तरीके से उनका वर्गीकरण किया गया है। विपक्ष समेत कई जानकारों ने भारत की आर्थिक डाटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये हैं। वहीं, सरकार ने कहा है कि इस प्रभाव मौजूद जीडीपी पर नहीं पड़ेगा। 

जीडीपी गणना में क्या हुए थे बदलाव

साल-2015 की जनवरी में केंद्र ने जीडीपी में बढ़ोतरी की गणना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति में बदलाव किया। इसके तहत आरबीआई के कंपनियों के आय पर स्टडी से निकले नतीजे की जगह इस अध्ययन में मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के एमसीए-21 डाटा बेस का इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया। माना गया कि इससे और सटीक डाटा मिलेंगे। खासकर, सर्विस सेक्टर से जुड़े आंकड़े सटीक मिलेंगे जिसका योगदान जीडीपी में करीब 60 फीसदी है।

सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा है कि एक आधिकारिक समिति रिपोर्ट को समीक्षा करेगी और इन 'लापता कंपनियों' का जीडीपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला क्योंकि 'समग्र स्तर' पर 'उचित व्यवस्था' कर दी गई है। यह कहा गया कि एनएसएसओ स्टडी को डाटा में अंतर और और भविष्य में इसमें सुधार की गुंजाइश को समझने के लिए किया गया था। साथ ही यह भी कहा गया कि  जीडीपी के आकलन अभी मौजूद डाटा के हिसाब से है जिसमें समय के साथ और सुधार हो सकता है।

मुद्दे पर अलग-अलग राय

कुछ विश्लेषकों का जहां कहना है 'शेल कंपनियों' को जीडीपी गणना में शामिल नहीं करना चाहिए क्योंकि वे उत्पाद या अन्य सेवाओं में कोई योगदान नहीं देते हैं। वहीं, कई और जानकार इस मसले पर सरकार के साथ हैं। इनका मानना है कि अर्थव्यवस्था में हर लेन-देन (शेल कंपनियां भी) को शामिल किया जाना चाहिए। इनका मानना है कि कई कंपनियां वैध होती हैं और ट्रांजैक्शन को छिपाने के लिए 'शेल कंपनी' बनी रहती हैं।

विपक्ष का सरकार पर निशाना

पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने इसे बुधवार को बड़ा घोटाला बताते हुए इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा है कि अधिकारियों की भूमिका सरकार के इशारे पर तय हुई थी। साथ ही कांग्रेस ने कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए कि आंकड़े की चोरी किस तरह की गयी तथा आंकड़ों की चोरी में अरुण जेटली और पीएम मोदी की क्या भूमिका थी।

पी. चिदंबरम ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की वास्तविकता को छुपाया गया, जीडीपी की वास्तविक दर 18-19 में 7 फीसदी तक जा पहुंची, राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.9 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि कर राजस्व में 1.6 लाख करोड़ की गिरावट दर्ज हुई है।

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