GST Council Registration: जीएसटी नेटवर्क ने शुक्रवार को कहा कि उसने पंजीकृत कंपनियों के 1.8 करोड़ से अधिक पते-ठिकानों का ‘जियो-कोडिंग’ किया है और यह सुविधा अब सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के लिये उपलब्ध है। जियो-कोडिंग से पंजीकृत इकाइयों के सही ठिकाने का पता लगाने और फर्जी पंजीकरण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) पहले ही कुछ राज्यों में जियो-कोडिंग के लिये एक पायलट कार्यक्रम चला चुका है। जीएसटी नेटवर्क ने कहा कि कंपनियों के मूल ठिकाने के पते को जियो-कोडिंग करने की सुविधा अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिये उपलब्ध है।
इस व्यवस्था के तहत किसी स्थान के पते या ठिकाने के विवरण को भौगोलिक स्थिति (आक्षांश और देशांतर) में बदला जा सकता है। इस पहल का मकसद जीएसटी नेटवर्क के रिकॉर्ड में यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी का पता-ठिकाना पूरी तरह से सटीक है। साथ ही इसके जरिये पता और सत्यापन प्रक्रिया को दुरुस्त बनाना है।
जीएसटीएन ने कहा, ‘‘कंपनियों के प्रमुख ठिकानों के 1.8 करोड़ से अधिक पतों को सफलतापूर्वक जियो-कोड किया गया है। इसके अलावा, मार्च 2022 के बाद के सभी नये पते पंजीकरण के समय ही जियो-कोड किये गये हैं, ताकि पते के विवरण की सटीकता और मानकीकरण सुनिश्चित हो सके।’’
जीएसटी परिषद पंजीकरण नियमों को कड़ा करेगी
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद फर्जी पंजीकरण पर लगाम लगाने के लिये नियमों को कड़ा कर सकती है। इसके तहत पंजीकरण चाहने वाले व्यक्ति के पैन से जुड़े बैंक खाते का ब्योरा कर अधिकारियों के पास जमा करने को लेकर समय अवधि मौजूदा 45 दिनों से घटाकर 30 दिन की जा सकती है।
परिषद 11 जुलाई को अपनी बैठक में जीएसटी पंजीकरण देने से पहले ‘उच्च जोखिम’ वाले आवेदकों के कारोबारी परिसर के अनिवार्य रूप से भौतिक सत्यापन का भी प्रावधान कर सकती है। साथ ही, जीएसटी नियमों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि जिस व्यक्ति के व्यावसायिक परिसर का सत्यापन किया जा रहा है, उसे उस दौरान मौके पर मौजूद नहीं रहना चाहिए।
विधि समिति ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत फर्जी पंजीकरण को रोकने के उद्देश्य से बदलाव का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद विचार करेगी। केंद्र और राज्यों के जीएसटी अधिकारी इस समय फर्जी पंजीकरण पकड़ने के लिये विशेष अभियान चला रहे हैं। अब तक के अभियान में 17,000 जीएसटीआईएन (वस्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या) का कोई अता-पता नहीं चला। इनमें से 11,015 जीएसटी आईएन निलंबित और 4,972 रद्द कर दिये गये हैं। वहीं 15,000 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता चला है।