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भारत में एसओपी राइटिंग, एलओआर, प्रवेश निबंध और रिज्यूमे लेखन सेवाओं की बढ़ती मांग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 4, 2023 13:07 IST

एसओपी (SOP) कई तरह के होते हैं और विश्वविद्यालय और कॉलेज कई तरह के अलग-अलग सवाल पूछते हैं जैसे – पर्सनल स्टेटमेंट (Personal Statement), लेटर ऑफ इंटेंट (Letter of Intent), मोटिवेशन लेटर (Motivation Letter) इत्यादि।

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भारत एक युवा देश है, दूसरे देशों के मुक़ाबले यहां सबसे कम उम्र के लोग हैं, और इसीलिए भारत को पूरा विश्व एक युवा ताकत की तरह देख रहा है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation), भारत सरकार द्वारा साझा की गई एक रिपोर्ट में, भारत की जनसंख्या की औसत आयु लगभग 28 वर्ष है।

हालांकि भारत बहुत तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन भारत की शिक्षा प्रणाली अभी भी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बहुत पीछे है। यही कारण है कि भारत में विदेशी शिक्षा का अलग महत्व रहा है, और ये आज़ादी के पहले से ही प्रचलित है।

महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे कई महान हस्तियों ने पहले विदेश में जाकर शिक्षा ग्रहण किया और फिर स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हुए और अंततः इन महापुरषों के अथक प्रयास से भारत एक स्वतंत्र देश बना।

सन 2000 से पहले विदेश में शिक्षा प्राप्त करना बहुत कठिन था तथा बहुत अमीर लोग ही अपने बच्चों को विदेश कि शिक्षा दिला पाते थे, मगर ये परिस्थिति अब बदल चुकी है । वैश्वीकरण और आसान ज्ञान के आदान-प्रदान के कारण बीते 2 दशकों के दौरान भारतीयों के बीच विदेशों में अध्ययन की प्रवृत्ति में काफी वृद्धि देखी गई है।

खास बात ये है कि जो छात्र कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उनके पास भारत में अधिक विकल्प नहीं हैं और इस प्रकार एक उपयुक्त वैश्विक कार्यक्रम उनके लिए सही फिट बन जाता है। उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले अधिकांश छात्र भी बेहतर जीवन स्तर और वैश्विक वातावरण की तलाश में वहां बसने का लक्ष्य रखते हैं।

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए अधिक से अधिक भारतीयों के आवेदन के साथ, इन देशों में भारतीयों के पलायन में वृद्धि देखी गई है, जो चिंता की बड़ी वजह बन गई है। इसी कारण, इनमें से अधिकांश देशों ने अपने आव्रजन कानूनों (Immigration Laws) को सख्त बना दिया है और प्रवासन पर रोक लगाने के लिए अध्ययन या कार्य परमिट के लिए सीमित आवेदन स्वीकार कर रहे हैं। चूंकि मानदंड कठिन हो गए हैं, इसलिए कागजों का सही होना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।

ऐसा ही एक सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज स्टेटमेंट ऑफ परपज (Statement of Purpose) यानी ‘उद्देश्य का विवरण’ है। एसओपी (SOP Writing) की आवश्यकता तब होती है जब कोई उम्मीदवार प्रतिष्ठित विदेशी कॉलेजों में पढ़ाई के लिए आवेदन करता है अथवा छात्र वीज़ा का आवेदन करता है। वस्तुतः वीज़ा प्राप्ति के आवेदन के लिए भी SOP की आवशयकता पड़ती है।

 इसीलिए ये पत्र बहुत महत्वपूर्ण होता है अतः इसे बहुत ही ध्यानपूर्वक लिखा जाना चाहिए।  अगर कोई छात्र इसे हलके में लेता है तो इसका मूल्य उसको भविष्य में चुकाना पड़ सकता है। एसओपी (SOP) कई तरह के होते हैं और विश्वविद्यालय और कॉलेज कई तरह के अलग-अलग सवाल पूछते हैं।

जैसे – पर्सनल स्टेटमेंट (Personal Statement), लेटर ऑफ इंटेंट (Letter of Intent), मोटिवेशन लेटर (Motivation Letter) इत्यादि। इन सभी का एक समान महत्व है और यहां तक कि लेखन शैली भी लगभग समान ही  है, सिवाए कुछ अपवादों के, जहां कॉलेज या विश्वविद्यालय एक विशेष दिशानिर्देश देते हैं।

एसओपी (SOP) के अलावा, कुछ अन्य दस्तावेज हैं जो अक्सर कॉलेजों या विश्वविद्या SOP Writing लयों द्वारा मांगे जाते हैं, जैसे – रिकमेंडेशन लेटर (Recommendation Letter / LOR), रिज्यूम (Resume), छात्रवृत्ति निबंध (Scholarship Essay) ,जीमैट वेवर लेटर (GMAT Waiver Letter) या डायवर्सिटी स्टेटमेंट (Diversity Statement)। 

सुनीत कुमार सिंह भारत की पहली एसओपी राइटिंग सर्विसेज (SOP Writing Services) प्रदान करने वाली पहली एजेंसी - CONTENTHOLIC  के फाउंडर हैं।उन्होंने हमसे भारत में विदेशी शिक्षा उद्योग का अपना अनुभव साझा किया, जो काफी हद तक असंगठित है।

उनका कहना है कि 90% रिजेक्शन, चाहे वह कोर्स एप्लीकेशन हो या वीजा एप्लीकेशन (Visa Application), नक़ल किए गए एसओपी (plagiarized SOP) के कारण होते हैं। सुनीत कुमार सिंह बताते हैं कि अपने स्वयं के एसओपी और अन्य दस्तावेज लिखने वाले मेधावी छात्रों को भी एसओपी के नक़ल (plagiarism) की जानकारी नहीं है।

उनके मुताबिक अधिकांश वीजा एजेंटों या विदेश अध्ययन सलाहकारों के पास एसओपी के अपने निश्चित टेम्पलेट होते हैं और वे बस उसी सामग्री की नकल करते हैं और नाम, पाठ्यक्रम और कॉलेज के विवरण को बदल देते हैं। इसी कारण भारतीय आवेदनों की अस्वीकृति दरों में भारी वृद्धि हुई है।

सुनीत बताते हैं कि ये उद्योग तेजी से बदल रहा है और मानदंड भी बदल रहे हैं, इस प्रकार वीजा और पाठ्यक्रम आवेदनों में अस्वीकृति से बचने के लिए सभी मानदंडों और दिशानिर्देशों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। कई संगठनों और वाणिज्य दूतावासों ने COVID 19 के प्रसार के बाद नियमों और विनियमों में बदलाव किया है और इस प्रकार अस्वीकृति से बचने के लिए सभी दिशानिर्देशों और निर्देशों को अच्छी तरह से फिर से जांचना उचित है।

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