मार्च में GST संग्रह अब तक के उच्चतम स्तर पर, तोड़े अब तक के सारे रिकॉर्ड
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2022 04:56 PM2022-04-01T16:56:13+5:302022-04-01T17:08:08+5:30
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, सकल जीएसटी संग्रह ने जनवरी 2022 के एक महीने में एकत्र सबसे अधिक संग्रह 1,40,986 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।
नई दिल्ली: भारत सरकार के रोजकोष में मार्च 2022 में बंपर सकल जीएटी संग्रह आया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2022 में ग्रॉस जीएसटी (गूड्स एंड सर्विस टैक्स) अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर है। सकल जीएसटी संग्रह ने जनवरी 2022 के एक महीने में एकत्र सबसे अधिक संग्रह 1,40,986 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।
मार्च 2022 में सकल जीएसटी राजस्व 1,42,095 करोड़ रुपये
वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 में एकत्रित सकल जीएसटी राजस्व 1,42,095 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 25,830 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 32,378 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 74,470 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्रित 39,131 करोड़ रुपये सहित) और सेस (उपकर) 9,417 करोड़ रुपये रहा। बता दें कि मार्च के लिए राजस्व पिछले साल के इसी महीने में जीएसटी राजस्व से 15 प्रतिशत अधिक है।
Gross GST revenue collected in March 2022 is Rs 1,42,095 cr of which CGST is Rs 25,830 cr, SGST is Rs 32,378 cr, IGST is Rs 74,470 cr (incl Rs 39,131 cr collected on import of goods) and cess is Rs 9,417 cr (including Rs 981 cr collected on import of goods): Ministry of Finance
— ANI (@ANI) April 1, 2022
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीज निवेशकों का भारत पर भरोसा
आंकड़ें बता दें हैं कि फरवरी के अंत तक पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए भारतीय बाजारों में निवेश बढ़कर 89,143 करोड़ रुपये हो गया। इससे साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी समेत अन्य विपरीत कारकों के बावजूद भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों का भरोसा जताया है। गौरतलब है कि जनवरी के अंत में यह आंकड़ा 87,989 करोड़ रुपये रहा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
हालांकि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण खलबली मची हुई है। क्रूड ऑयल, गैस जैसे ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। साथ ही निवेशकों के मन में एक तरह से बेचैनी देखी जा रही है।