गूगल ने एंड्रॉयड ऐप स्टोर से इन ऐप्स को किया डीलिस्ट, जानें क्या है इनके पीछे की वजह, ओनर्स ने किए ये कमेंट्स
By आकाश चौरसिया | Published: March 2, 2024 01:36 PM2024-03-02T13:36:32+5:302024-03-02T13:43:51+5:30
गूगल ने बीती 1 मार्च को बिना किसी सूचना के भारत के 10 डेवलेपर्स को एंड्रॉयड प्ले स्टोर से शुक्रवार को बेदखल कर दिया। कंपनी ने इसका आधार बिलिंग नीतियों का अनुपालन न करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिससे तकनीकी दिग्गज और स्थानीय इंटरनेट कंपनियों के बीच संबंधों को लेकर तनातनी बढ़ गई है।
नई दिल्ली: गूगल ने बीती 1 मार्च को बिना किसी सूचना के भारत के 10 डेवलेपर्स को एंड्रॉयड प्ले स्टोर से शुक्रवार को बेदखल कर दिया। कंपनी ने इसका आधार बिलिंग नीतियों का अनुपालन न करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिससे तकनीकी दिग्गज और स्थानीय इंटरनेट कंपनियों के बीच संबंधों को लेकर तनातनी बढ़ गई है। गूगल के इस कदम से स्थानीय उद्योग में हलचल पैदान करने के साथ नए युद्ध को जन्म दे दिया है।
कई ऐप्स को प्ले स्टोर से हटा दिया गया है, जिनमें भारत मैट्रिमोनियल ऐप, जैसे प्रसिद्ध ऐप्स और इसके सहायक ऐप्स जैसे तेलुगु मैट्रिमोनी, तमिल मैट्रिमोनी और मराठी मैट्रिमोनी शामिल हैं। इनके अलावा ट्रूली मैडली और क्वैकक्वैक, जैसे डेटिंग ऐप्स के साथ-साथ 'मैट्रिमोनी.कॉम' की जोड़ी और पीपल ग्रुप की 'शादी.कॉम' भी डिलिस्टेड ऐप्स में शामिल हैं।
यह निष्कासन मैट्रिमोनी ऐप्स से आगे बढ़कर बालाजी टेलीफिल्म्स के एएलटीटी, स्थानीय वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म स्टेज, ऑडियो स्ट्रीमिंग और पॉडकास्ट ऐप कुकू एफएम को भी शामिल करता है। अन्य ऐप्स में नौकरी डॉट कॉम, जीवनसाथी ऐप और 99 एकड़ शामिल हैं। इन निष्कासनों ने गूगल की कार्रवाइयों के पीछे के कारणों और उपयोगकर्ताओं तक इन ऐप्स की पहुंच पर उनके प्रभाव के बारे में सवाल उठाए हैं।
दूसरी तरफ प्यूपल ग्रुप और शादी डॉक कॉम के सीईओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर गूगल की इस कार्रवाई को भारतीय इंटरनेट के लिए काला दिन करार दिया। उन्होंने कहा कि गूगल के इस कृत्य से ये साफ हो जाता है कि भारत के प्रति उनके मन में बहुत कम सम्मान है। उन्होंने कहा, "कोई गलती न करें, यह नई डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी है, और इस #लगान को बंद किया जाना चाहिए!"
Today is a dark day for India Internet. Google has delisted major apps from its app store even though legal hearings are underway @CCI_India & @indSupremeCourt Their false narratives & audacity show they have little regard for 🇮🇳 Make no mistake - this is the new Digital East…
— Anupam Mittal (@AnupamMittal) March 1, 2024
भारतीय उद्यमी और नौकरी डॉक कंपनी की मूल कंपनी इंफो एज के संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष संजीव बिखचंदानी ने 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में लिखा, "अभी के लिए भारतीय कंपनियां अनुपालन करेंगी। लेकिन, भारत को क्या चाहिए एक ऐप स्टोर/प्ले स्टोर है, जो डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक हिस्सा है, जैसे यूपीआई और ओएनडीसी। प्रतिक्रिया रणनीतिक होनी चाहिए।" उन्होंने अपने इस पोस्ट में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को भी टैग किया है।
Indian companies will comply - for now. But what India needs is an App Store / Play Store that is a part of Digital Public Infrastructure - like UPI and ONDC. The response needs to be strategic @PiyushGoyal@PiyushGoyalOffc
— Sanjeev Bikhchandani (@sbikh) March 1, 2024
Google is the most evil company for businesses. Our Indian startup system is completely controlled by them.
— Lal Chand Bisu (@lcbisu) March 1, 2024
Google delisted us in 2019 for 25 days without pre-notifying us. Worst days ever. Just imagine the atmosphere where the team is working daily in the office and there is no…
Google has become a digital zameendar of our internet and demanding 30% TAX. Google's behaviour reminds me of East India Company and worries me that soon we will all be digital slaves to their draconian policies. Today it is few categories tomorrow it will be all. #EvilGoogle
— Snehil Khanor (@snehilkhanor) March 1, 2024
गूगल ने क्यों किया है प्रतिबंध?
हाल में गूगल ने सेवा शुल्क भुगतान पर असहमति के बाद इन ऐप्स को हटाने का फैसला किया क्योंकि तकनीकी दिग्गज इन-ऐप लेनदेन पर 11 प्रतिशत से 26 प्रतिशत तक शुल्क वसूलने पर जोर दिया था। इसे लेकर कुछ भारतीय स्टार्टअप्स ने गूगल की नई शुल्क व्यवस्था का विरोध किया है, जो देश के एंटीट्रस्ट अधिकारियों द्वारा अपनी पिछली शुल्क प्रणाली को संशोधित करने के निर्देशों से प्रेरित है, जिसमें 15-30 प्रतिशत के बीच शुल्क लगाया गया था। हाल के अदालती फैसलों के बावजूद, जिसमें जनवरी और फरवरी में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी शामिल है, जो स्टार्टअप के पक्ष में नहीं था, गूगल शुल्क संग्रह या ऐप हटाने पर अपने रुख पर कायम है।