मुंबईः अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में वापसी की है। दिसंबर के पहले दो सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले नवंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजार से 21,612 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की भारी निकासी की थी। अक्टूबर की निकासी का आंकड़ा सबसे खराब रहा था। दिलचस्प तथ्य यह है कि सितंबर में एफपीआई का प्रवाह के लिए नौ माह के उच्चस्तर 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
यह विदेशी निवेशकों के निवेश के रुख में अस्थिरता को दर्शाता है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, ताजा प्रवाह के साथ 2024 में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 7,747 करोड़ रुपये रहा है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगा।
इनमें डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा राष्ट्रपति के रूप में लागू की गई नीतियां, मौजूदा मुद्रास्फीति और ब्याज दर की स्थिति और भू-राजनीतिक परिदृश्य शामिल है।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर देश की प्रगति भी निवेशक धारणा को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक (13 दिसंबर तक) शेयरों में शुद्ध रूप से 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसकी वजह यह है कि माना जा रहा है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा। वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के वरिष्ठ निदेशक (सूचीबद्ध निवेश) विपुल भोवर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम करके तरलता बढ़ाई है, जिससे निवेशकों की धारणा को बल मिला है।
इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर के 6.21 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 5.48 प्रतिशत रह गई है। इससे निवेशकों में उम्मीद बनी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती करेगा।
समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 666 करोड़ रुपये की निकासी की है। इस साल अबतक एफपीआई ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं।
सेंसेक्स की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से पांच के बाजार मूल्यांकन (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह 1,13,117.17 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। सबसे अधिक लाभ में भारती एयरटेल रही। समीक्षाधीन सप्ताह में जहां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक और इन्फोसिस के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी हुई।
वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मूल्यांकन में गिरावट आई। पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 623.07 अंक या 0.76 प्रतिशत चढ़ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 90.5 अंक या 0.36 प्रतिशत के लाभ में रहा।
समीक्षाधीन सप्ताह में भारती एयरटेल का बाजार मूल्यांकन 47,836.6 करोड़ रुपये बढ़कर 9,57,842.40 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इन्फोसिस की बाजार हैसियत 31,826.97 करोड़ रुपये बढ़कर 8,30,387.10 करोड़ रुपये रही। एचडीएफसी बैंक का मूल्यांकन 11,887.78 करोड़ रुपये बढ़कर 14,31,158.06 करोड़ रुपये पर और आईसीआईसीआई बैंक का मूल्यांकन 11,760.8 करोड़ रुपये बढ़कर 9,49,306.37 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 9,805.02 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 16,18,587.63 करोड़ रुपये रहा।
इस रुख के उलट रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 52,031.98 करोड़ रुपये घटकर 17,23,144.70 करोड़ रुपये रह गया। एलआईसी की बाजार हैसियत 32,067.73 करोड़ रुपये घटकर 5,89,869.29 करोड़ रुपये पर आ गई। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का मूल्यांकन 22,250.63 करोड़ रुपये घटकर 5,61,423.08 करोड़ रुपये रह गया।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का बाजार मूल्यांकन 2,052.66 करोड़ रुपये घटकर 7,69,034.51 करोड़ रुपये पर आ गया। आईटीसी की बाजार हैसियत 1,376.19 करोड़ रुपये घटकर 5,88,195.82 करोड़ रुपये रह गई। शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, एसबीआई, एलआईसी, आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर का स्थान रहा।