किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के समिति गठित करने के प्रस्ताव को ठुकराया, बातचीत बेनतीजा रही

By भाषा | Updated: December 1, 2020 22:21 IST2020-12-01T22:21:25+5:302020-12-01T22:21:25+5:30

Farmer representatives turned down the government's proposal to set up a committee, negotiations were inconclusive | किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के समिति गठित करने के प्रस्ताव को ठुकराया, बातचीत बेनतीजा रही

किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के समिति गठित करने के प्रस्ताव को ठुकराया, बातचीत बेनतीजा रही

नयी दिल्ली, एक दिसंबर नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 35 किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया। सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई लंबी बैठक बेनतीजा रही।

वार्ता में भाग लेने वाले किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि विज्ञान भवन में हुई लंबी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। सरकार ने बृहस्पतिवार यानी तीन दिसंबर को अगले दौर की वार्ता के लिए किसान प्रतिनिधियों को बुलाया है।

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि वार्ता का दौर जारी रहेगा और अगली बैठक बृहस्पतिवार को निर्धारित की गई है। अधिकारियों ने हालांकि, कहा कि बाद में शाम को कृषि मंत्रालय में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक का एक और दौर चला।

बीकेयू नेता नरेश टिकैत ने भी कहा कि किसानों का एक और प्रतिनिधिमंडल शाम सात बजे सरकार से मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि हाल में लागू किये गये कृषि कानूनों के अलावा अन्य मुद्दों पर भी विचार विमर्श किये जाने की संभावना है। उन्होंने बताया कि वार्ता के अहम बिन्दुओं में किसानों के लिए बिजली शुल्क का मुद्दा होगा।

बैठक के लिए जाते समय दिल्ली-गाजियाबाद की सीमा पर टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि इस बैठक में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रतिनिधियों के भी हिस्सा लेने की उम्मीद है।

विज्ञान भवन में किसान संगठन के प्रतिनिधियों के साथ पहली बैठक के समाप्त होते ही यह बैठक शुरु हुई। लगभग दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एकमत राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये। किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हितों के खिलाफ करार दिया।

प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की दया पर छोड़ दिया जायेगा।

सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी।

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में बैठक के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब के एक सांसद भी हैं) उपस्थित थे।

बैठक के बाद भारत किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष, जोगिन्दर सिंह उग्राहन ने कहा कि वार्ता बेनतीजा रही और सरकार ने तीन दिसंबर को अगली बैठक बुलाई है।

बैठक शुरु होने से पहले तोमर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उनके मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा के लिए तैयार हैं। देखते हैं क्या होता है।’’

उन्होंने आगे कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद सरकार उनकी समस्याओं का समाधान निकालेगी।

भारत किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के सदस्य रूपसिंह सनहा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।’’

यह संगठन, नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों के सबसे बड़े दलों में से है।

हालांकि, सरकारी पक्ष का ठोस रुख यह है कि किसानों के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनायी जानी चाहिये और उनकी किसान संगठनों से अपेक्षा है कि वे इस प्रस्ताव पर विचार करें।

सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों का विचार था कि इतने बड़े समूहों के साथ बातचीत करते हुए किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है और इसलिए उन्होंने एक छोटे समूह के साथ बैठक का सुझाव दिया। हालांकि, किसान नेताओं का मानना है कि वह सामूहिक तौर पर ही मुलाकात करेंगे। यूनियन नेताओं ने कहा कि उन्हें आशंका है कि सरकार उनकी एकता और उनके विरोध प्रदर्शन को तोड़ने की कोशिश कर सकती है।

बीकेयू (दाकौंडा) भटिंडा जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह ने कहा, "सरकार ने हमें बेहतर चर्चा के लिए एक छोटी समिति बनाने के लिए 5-7 सदस्यों के नाम देने के लिए कहा, लेकिन हमने इसे अस्वीकार कर दिया। हमने कहा कि हम सभी उपस्थित रहेंगे।"

उन्होंने आरोप लगाया, "सरकार एक छोटे समूह के लिए जोर दे रही है क्योंकि वे हमें विभाजित करना चाहते हैं। हम सरकार की चालों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं।"

सभा स्थल के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

बैठक से कुछ घंटे पहले, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, तोमर और गोयल, भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा के साथ, केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर विस्तारपूर्वक विचार विमर्श हुआ।

पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली की सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सोमवार को उत्तर प्रदेश से लगती गाजीपुर सीमा पर भी प्रदर्शनकारी किसानों का हुजूम जुटा।

स्थिति को भांपते हुये विपक्षी दलों ने भी सरकार पर अपना दबाव बढ़ा दिया और केंद्र सरकार से किसानों की ‘‘लोकतांत्रिक लड़ाई का सम्मान’’ करते हुये नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है।’’

इससे पूर्व 13 नवंबर को हुई एक बैठक गतिरोध तोड़ने में विफल रही थी और अगली बैठक मूल रूप से तीन दिसंबर के लिए निर्धारित की गई, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के चलते यह बैठक तय समय से पहले ही करनी पड़ी।

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