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Economic growth: भारत की बल्ले-बल्ले!, चीन को नुकसान, फिच ने वृद्धि दर का ऐसे परखा, जानें आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 6, 2023 17:34 IST

Economic growth: रोजगार की स्थिति में सुधार तथा कामकाजी आयु की आबादी में हल्की वृद्धि की संभावना को देखते हुए वृद्धि अनुमान बढ़ाया गया है।

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ठळक मुद्देमध्यम अवधि में संभावित वृद्धि दर चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान में 0.7 प्रतिशत की कटौती है।फिच ने रूस के संभावित वृद्धि दर अनुमान को भी 0.8 प्रतिशत घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है।

Economic growth: साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत के मध्यम अवधि के आर्थिक वृद्धि अनुमान को 0.70 प्रतिशत बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है। रोजगार की स्थिति में सुधार तथा कामकाजी आयु की आबादी में हल्की वृद्धि की संभावना को देखते हुए वृद्धि अनुमान बढ़ाया गया है।

 

फिच ने सोमवार को एक रिपोर्ट में 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये मध्यम अवधि में संभावित वृद्धि दर चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह पिछले 4.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसका एक प्रमुख कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान में 0.7 प्रतिशत की कटौती है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमने चीन की... सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर अनुमान को 5.3 प्रतिशत से घटाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया है। हाल के वर्षों में चीन की वृद्धि दर में तेजी से कमी आई है। जमीन-जायदाद के क्षेत्र में नरमी से निवेश परिदृश्य पर असर पड़ा है...।’’ फिच ने रूस के संभावित वृद्धि दर अनुमान को भी 0.8 प्रतिशत घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है।

इसके उलट इसने अपने पिछले अनुमानों की तुलना में ब्राजील, भारत, मेक्सिको, इंडोनेशिया, पोलैंड और तुर्की के लिये वृद्धि अनुमान को बढ़ाया है। फिच ने कहा कि भारत के लिये आर्थिक वृद्धि अनुमान बढ़ाने का कारण श्रम बल भागीदारी दर में अच्छा सुधार है। वर्ष 2020 में इसमें अच्छी-खासी गिरावट आई थी।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमने भारत का आर्थिक वृद्धि अनुमान 0.7 प्रतिशत बढ़ा दिया है। वहीं ब्राजील, तुर्की और इंडोनेशिया के लिये अनुमान को 0.2 प्रतिशत बढ़ाया गया है।’’ भारत के मामले में आर्थिक वृद्धि दर पिछले अनुमान से 0.7 प्रतिशत अधिक यानी 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इसका कारण रोजगार दर में सुधार और कामकाजी आबादी में वृद्धि का अनुमान है।

भारत का श्रम उत्पादकता अनुमान भी अधिक है। फिच ने मध्यम अवधि 2023 से 2027 को माना है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भागीदारी दर में नकारात्मक वृद्धि के अनुमान को देखते हुए भारत की अनुमानित श्रम आपूर्ति वृद्धि भी 2019 की तुलना में कम है। हालांकि, भागीदारी दर अपनी कोविड-19 महामारी की नरमी से उबर गई है, लेकिन यह 2000 के दशक की शुरुआत में दर्ज स्तर से काफी नीचे बनी हुई है। महिलाओं के बीच रोजगार दर कम है।

 

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