आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं, निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत: आरबीआई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 29, 2019 08:00 PM2019-08-29T20:00:37+5:302019-08-29T20:00:37+5:30

वित्त वर्ष 2018-19 की बृहस्पतिवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि सही समस्या की पहचान करना मुश्किल है। लेकिन इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि जमीन, श्रम और कृषि उपज विपणन क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को छोड़कर अन्य मुद्दों की प्रकृति संरचनात्मक नहीं है।

Economic activities slow, need to increase private investment: RBI | आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं, निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत: आरबीआई

रिजर्व बैंक ने इसी महीने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत किया है।

Highlightsरिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट, 2019 में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 प्रतिशत बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंची।आईएलएंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह 20 प्रतिशत घटा: आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मौजूदा दौर को ‘नरमी का ऐसा दौर बताया जो चक्रीय गिरावट में बदल’ गया। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नीति निर्माताओं और सरकार की शीर्ष प्राथमिकता उपभोग और निजी निवेश बढ़ाने की होनी चाहिए।

वित्त वर्ष 2018-19 की बृहस्पतिवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि सही समस्या की पहचान करना मुश्किल है। लेकिन इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि जमीन, श्रम और कृषि उपज विपणन क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को छोड़कर अन्य मुद्दों की प्रकृति संरचनात्मक नहीं है।

रिजर्व बैंक ने इसी महीने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष इस समय जो बड़ा सवाल हैं: वह यह कि क्या हम अस्थाई नरमी में है या यह चक्रीय गिरावट है अथवा इस सुस्ती के पीछे संरचनात्मक मुद्दे बड़ी वजह हैं?

केंद्रीय बैंक ने कहा कि नरमी का यह दौर एक गहरी संरचनात्मक सुस्ती के बजाय चक्रीय गिरावट का हो सकता है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2019 में महत्वपूर्ण नीतिगत दर रेपो में 1.10 प्रतिशत की कटौती की है। लगातार चार बार की गई कटौती के बाद रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर नौ साल के निचले स्तर पर आ गई है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब सभी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता उपभोग में सुधार और निजी निवेश में बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकिंग और गैर- बैंकिंग क्षेत्रों को मजबूत कर, बुनियादी ढांचा खर्च में बड़ी वृद्धि और श्रम कानून, कराधान और अन्य कानूनी सुधारों के क्रियान्वयन के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल मांग उम्मीद से अधिक कमजोर पड़ी है। घरेलू मांग में सुस्ती से अर्थव्यवस्था में ‘जोश’ का अभाव है। वित्तीय प्रोत्साहन की मांग के बीच रिजर्व बैंक ने कई ऐसे कारक बताए हैं जिससे राज्यों की प्रोत्साहन देने की क्षमता प्रभावित हो रही है।

इसमें कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग का क्रियान्वयन और आमदनी समर्थन की विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वृहद आर्थिक स्थिरता के चमकदार पहलुओं में बेहतर मानसून की वजह से मुद्रास्फीति अनुकूल रहने, राजकोषीय घाटे पर काबू और चालू खाते का घाटा निचले स्तर पर रहना शामिल है। 

Web Title: Economic activities slow, need to increase private investment: RBI

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