सरसों की आवक कम होने से इसके तेल-तिलहन के भाव टूटे, पहली बार सोयाबीन की कीमत सरसों से अधिक

By भाषा | Updated: July 27, 2021 19:13 IST2021-07-27T19:13:42+5:302021-07-27T19:13:42+5:30

Due to less arrival of mustard, the prices of oilseeds fell, for the first time, the price of soybean is higher than that of mustard. | सरसों की आवक कम होने से इसके तेल-तिलहन के भाव टूटे, पहली बार सोयाबीन की कीमत सरसों से अधिक

सरसों की आवक कम होने से इसके तेल-तिलहन के भाव टूटे, पहली बार सोयाबीन की कीमत सरसों से अधिक

नयी दिल्ली, 27 जुलाई विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को मंडियों में सरसों की आवक घटने और वायदा कारोबार में भाव टूटने से इसके तेल-तिलहन के भाव में गिरावट आई जबकि सोयाबीन की कमी होने के कारण सोयाबीन और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में 0.5 प्रतिशत और मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की तेजी थी।

उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार माल की कमी होने के कारण सोयाबीन का भाव सरसों के मुकाबले अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि किसानों, तेल संयंत्रों और व्यापारियों के पास सोयाबीन का नहीं के बराबर स्टॉक है और वायदा कारोबार में सोयाबीन के लिए ऊंची बोली लगाये जाने से मंडियों में सरसों के मुकाबले सोयाबीन का भाव 23 रुपये किलो अधिक हो गया है।

इंदौर के एनसीडीईएक्स में सोमवार को सोयाबीन का भाव 9,100 रुपये बोला गया था जबकि मंगलवार को अगस्त अनुबंध का भाव 9,652 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ।

एनसीडीईएक्स में सरसों के भाव टूटने से सरसों तेल-तिलहन के भाव नरमी का रुख प्रदर्शित करते बंद हुए। पूरे देश में सरसों की आवक सोमवार के पौने तीन लाख बोरी से घटकर मंगलवार को लगभग ढाई लाख बोरी रह गई।

इस बीच, सूत्रों ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरसों में अन्य तेलों के मिश्रण रोकने के संबंध में सरकार के आदेश के खिलाफ मंगलवार को होने वाली सुनवाई को 13 अगस्त तक के लिए टाल दिया है जो सरसों उपभोक्ताओं और किसानों के लिए अच्छी खबर है।

पिछले दिनों देश में खाद्य तेल की कमी को पूरा करने और बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने सीपीओ और सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क को कम करने के अलावा पामोलीन के आयात को फिर से शुरू करने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद मलेशिया में सीपीओ के भाव लगभग 25 प्रतिशत मजबूत हो गये हैं। जिस वक्त शुल्क को कम किया जा रहा था, उस वक्त सीपीओ का भाव 980 डॉलर प्रति टन था जो मंगलवार को बढ़कर 1,240 डॉलर प्रति टन हो गया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच प्रतिशत शुल्क में कमी की, उधर मलेशिया में भाव 25 प्रतिशत बढ़ा दिये गये।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की घरेलू मांग को देखते हुए सरकार को इसके निर्यात पर एक नवंबर तक के लिए रोक लगा देनी चाहिये।

सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में सुधार के रुख की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,675 - 7,725 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,945 - 6,090 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,500 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,235 - 2,365 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,320 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,505 -2,555 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,605 - 2,715 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,150 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,050 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,640 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,780 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,600 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,600 रुपये।

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Web Title: Due to less arrival of mustard, the prices of oilseeds fell, for the first time, the price of soybean is higher than that of mustard.

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