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डॉट ने एजीआर भुगतान स्थिति को लेकर न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर किया

By भाषा | Updated: April 6, 2021 20:40 IST

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(प्रसून श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, छह अप्रैल दूरसंचार विभाग (डॉट) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष दूरसंचार परिचालकों द्वारा किये गये सांविधिक बकाये के भुगतान की स्थिति पर एक हलफनामा दायर किया है। एक सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 31 मार्च 2021 तक भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित दूरसंचार परिचालकों को डॉट द्वारा मांगे गए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के 10 प्रतिशत हिस्से का भुगतान करना था।

अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘डॉट ने एजीआर भुगतान की स्थिति पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है।’’

शीर्ष न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 31 मार्च तक डॉट के समक्ष अपने बकाया के 10 प्रतिशत का भुगतान करने को कहा था, जबकि बाकी राशि का भुगतान एक अप्रैल 2021 से शुरू हुए वित्त वर्ष से अगले दस साल की अवधि में किया जाना है।

हालांकि, न्यायालय के आदेश को लेकर कुछ अस्पष्टता है, क्योंकि दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि उन्होंने एजीआर बकाये का 10 प्रतिशत से अधिक भुगतान पहले ही कर दिया है, जबकि डॉट का कहना है कि परिचालकों को 31 मार्च 2021 तक कुल बकाए के 10 प्रतिशत का भुगतान करना होगा, चाहे वे पहले कितना ही भुगतान कर चुके हों।

इस संबंध में न्यायालय के आदेश को स्पष्टता के साथ समझने के लिए कई दूरसंचार कंपनियों के वकील न्यायालय तक पहुंच गए हैं।

सरकारी गणना के अनुसार एजीआर बकाए के रूप में भारती एयरटेल को 43,980 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया को 58,254 करोड़ रुपये, टाटा समूह को 16,798 करोड़ रुपये, बीएसएनएल को 5,835.85 करोड़ रुपये और एमटीएनएल को 4,352.09 करोड़ रुपये देने हैं।

भारती एयरटेल ने सरकार को 18,004 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया ने 7,854 करोड़ रुपये, टाटा ने 4,197 करोड़ रुपये और रिलायंस जियो ने पूरा बकाया 194.79 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसके अलावा अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस को 25,194.58 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, एयरसेल को 12,389 करोड़ रुपये और वीडियोकोन टेलीकम्युनिकेशंस को 1,376 करोड़ रुपये का बकाया है लेकिन ये कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया के तहत जा चुकी हैं। इसी प्रकार लूप टेलिकॉम, एतिसलात डीबी और एस टेल पर भी कुल मिलाकर सरकार का 604 करोड़ रुपये बकाया है पर ये कंपनियां भारत में अपना कारोबार बंद कर चुकीं हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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