पेट्रोल-डीजल के रेट में रोज बदलाव पर रोक से जुड़ी PIL हाई कोर्ट ने की खारिज, कहा- सरकार के काम में नहीं देंगे दखल
By भाषा | Published: September 19, 2018 06:42 PM2018-09-19T18:42:07+5:302018-09-19T18:42:07+5:30
पिछले एक पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की कीमतें महँगाई का रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं। आजाद भारत के 71 सालों के इतिहास में पहली बार पेट्रोल 72 रुपये के पार गया।
नयी दिल्ली, 19 सितंबर: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र को उस रिकॉर्ड को पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है जिसके आधार पर तेल कंपनियां ईंधन की कीमतें रोजाना तय कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे में नहीं जाना चाहते और सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
यह आवेदन एक लंबित याचिका में दायर किया गया, जिसमें ईंधन की कीमतों में रोजाना वृद्धि को चुनौती दी गई है और केंद्र सरकार को उन्हें जरूरी वस्तु मानते हुए पेट्रोल और डीजल की उचित दर तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
दिन की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि मुख्य याचिका को पिछली बार सुनने के दौरान उसने पहले ही कहा था कि वह इस मुद्दे में नहीं जा रही है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि हमें पिछली तारीख को ही याचिका खारिज कर देनी चाहिये थी। आवेदन को खारिज किया जाता है।’’
पेट्रोल-डीजल के दाम तय करने की शक्ति
12 सितंबर को जब दिल्ली की डिजाइनर पूजा महाजन की मुख्य याचिका सुनवाई के लिये आई थी तो पीठ ने कहा था कि ईंधन की कीमतों में रोजाना बदलाव केंद्र सरकार की आर्थिक नीति है और अदालतों को इससे दूर रहना चाहिये।
उसने साफ कर दिया था कि वह सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं है क्योंकि ‘इसमें बड़े आर्थिक मुद्दे शामिल हैं।’
आवेदन में केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह वो फॉर्मूला और रिकॉर्ड पेश करे जिसके आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय की जा रही हैं ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि क्या तेल कंपनियां और केंद्र सरकार गलत तरीके से लाभ कमा रही हैं।
अधिवक्ता ए मैत्री के जरिये दायर याचिका में कहा गया था कि सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों को तय करने की शक्ति तेल कंपनियों को सौंप नहीं सकती।