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BharatPe के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर ने MD पद से दिया इस्तीफा, जानिए क्या है मामला

By मनाली रस्तोगी | Updated: March 1, 2022 10:36 IST

BharatPe के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर ने मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) के पद से इस्तीफा दे दिया है। ग्रोवर द्वारा इस्तीफा देने का मामला तब सामने आया है जब भारतपे ने उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर को कथित वित्तीय अनियमितताओं के लिए बर्खास्त कर दिया था।

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ठळक मुद्देBharatPe के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर ने मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) के पद से इस्तीफा दे दिया हैग्रोवर द्वारा इस्तीफा देने का मामला तब सामने आया है जब भारतपे ने उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर को कथित वित्तीय अनियमितताओं के लिए बर्खास्त कर दिया था।

नई दिल्ली: BharatPe के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ग्रोवर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) के पद से इस्तीफा देने का मामला तब सामने आया है जब भारतपे ने उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर को कथित वित्तीय अनियमितताओं के लिए बर्खास्त कर दिया था, जिसमें नकली चालान बनाने से लेकर व्यक्तिगत सौंदर्य उपचार और विदेश यात्राओं के लिए कंपनी को बिल देना शामिल था। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, BharatPe को बोर्ड को संबोधित एक पत्र में अश्नीर ग्रोवर ने लिखा, "मैं इसे भारी मन से लिख रहा हूं क्योंकि आज मुझे एक कंपनी को अलविदा कहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिसका मैं संस्थापक हूं। मैं अपने सिर ऊंचा करके कहता हूं कि आज यह कंपनी फिनटेक की दुनिया में एक लीडर के रूप में खड़ी है।"

ग्रोवर अपने पत्र में आगे लिखते हैं, "दुर्भाग्य से साल 2022 की शुरुआत के बाद से मैं कुछ लोगों द्वारा मुझ पर और मेरे परिवार पर निराधार और लक्षित हमलों में उलझा हुआ हूं, जो न केवल मुझे और मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार हैं, बल्कि कंपनी की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जो जाहिर तौर पर वे करते हैं। बचाने की कोशिश कर रहे हैं।" 

बता दें कि अश्नीर ग्रोवर को कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद छुट्टी पर भेज दिया गया था, जिसका उन्होंने खंडन किया है। ग्रोवर और उनकी पत्नी ने बैंक पर आरोप लगाया था कि जब नायका की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) शुरू की गई थी, तब उन्होंने उन्हें 500 करोड़ रुपये के शेयर दिलाने का वादा किया था।

उन्होंने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) में एक मध्यस्थता याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उनके खिलाफ कंपनी की जांच अवैध थी। हालांकि, एसआईएसी ने इस मामले में कोई राहत नहीं देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।

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