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ईमेल शिष्टाचार को लेकर जरूरी है जागरुकता का निर्माण करना

By भाषा | Updated: August 22, 2021 14:18 IST

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थियोडोर ई (टेड) जॉर्न, प्रोफेसर ऑफ ऑर्गेनाइजेशनल कॉम्युनिकेशन, मेसी यूनिवर्सिटी (थियोडोर ई (टेड) जोर्न, मैसी विश्वविद्यालय के ऑर्गेनाइजेशनल कम्युनकेशन के प्रोफेसर) पाल्मरस्टन नॉर्थ (न्यूजीलैंड), 22 अगस्त (द कन्वर्सेशन) ईमेल लोगों के पेशेवर कामकाज का एक अभिन्न हिस्सा हैं, खासकर लॉकडाउन में घर से काम करने का चलन बढ़ने के साथ उनकी अहमियत और बढ़ गयी है। लेकिन साथ ही ईमेल से जुड़े शिष्टाचार को लेकर भी चर्चा बढ़ गयी है। ईमेल से जुड़े शिष्टाचार का मतलब है कि ईमेल में किस तरह से किसी असम्मानजनक भाषा से बचा जाए, कैसे ईमेल हासिल करने वाला संदेश का गलत अर्थ ना निकाले। लेकिन हम ईमेल शिष्टाचार को लेकर कितने ही सतर्क क्यों ना रहें, उनसे गलत संदेश चला ही जाता है, भले ही ईमेल भेजने वाले का इरादा गलत ना रहा हो। इसकी वजह अकसर ईमेल पढ़ने वालों के मन में बैठा "निगेटिव इंटेसिफिकेशन बायस" यानी संदेश को नकारात्मक रूप में पढ़ना, है, जिसके तहत नकारात्मकता के हल्के से भी भाव को वे कहीं ज्यादा बड़े रूप में ले लेते हैं। कार्यालय में काम करने लोग दिन में करीब ढाई घंटे ईमेल पढ़ने, लिखने और उनका जवाब देने में गुजारते हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों का कहना है कि उन्हें कई बार ऐसे ईमेल मिलते हैं जो सम्मानजनक नहीं होते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक 91 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसे ईमेल अपने कार्यालय के प्रमुख से मिलते हैं। ईमेल से कई बार संवाद की समस्या सामने आती है। आमने-सामने बैठकर संवाद करने की तुलना में ईमेल के जरिये संवाद में देरी होती है। आमने-सामने बैठकर संवाद में हम संवाद को बेहतर तरीके से समझने और किसी तरह की संवाद की समस्या को ठीक करने में सक्षम होते हैं लेकिन ईमेल के मामले में ऐसा नहीं होता। ईमेल शिष्टाचार से जुड़े पहलुओं को हम अलग-अलग बिंदुओं में समझ सकते हैं। गलत अर्थ निकाले जाने का खतरा ईमेल भेजने वाला और उसे प्राप्त करने वाला हर व्यक्ति समझता है कि क्या समस्याएं सामने आ सकती हैं। अगर हम गूगल पर सर्च करें, तो सैकड़ों ऐसे लेख मिल जाएंगे जिनमें इन समस्याओं से बचने के बारे में बताया गया है। कार्यस्थल पर कठोर, खराब भाषा वाले ईमेल से कर्मचारियों में तनाव, उत्पादकता में कमी आ सकती है और उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है। ईमेल शिष्टाचार से जुड़ी सलाह में "रिप्लाई ऑल" (ईमेल में एक साथ कई लोगों को जवाब भेजना) कम से कम करना, हास्य विनोद वाले शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सतर्क रहना, यह मानना कि संदेश गोपनीय नहीं हैं और किसी कठिन संदेश को भेजने से पहले किसी सहकर्मी से उसे पढ़ने के लिए कहना शामिल है। नकारात्मक भाव में लेना हमने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में किए अपने शोध के तहत कार्यस्थल पर नियमित रूप से ईमेल का इस्तेमाल करने वाले 276 वयस्कों से ऐसे ईमेल का एक उदाहरण देने को कहा जिसे पढ़कर उनमें नकारात्मकता का भाव पैदा हुआ हो। हमने उन लोगों से ईमेल को लेकर सवाल पूछे और उसके बाद निष्पक्ष पर्यवेक्षकों से उन्हीं संदेशों को पढ़ने के लिए कहा। हमने पाया कि जिन लोगों को ईमेल मिला था, उन्होंने पर्यवेक्षकों की तुलना में उन ईमेल को कहीं ज्यादा नकारात्मक पाया। यह अंतर तब और भी गहरा था जब प्रतिभागी के संगठन में नकारात्मक संवाद का माहौल आम था और ईमेल भेजने वाला व्यक्ति किसी वरिष्ठ पद पर था। इससे "निगेटिव इंटेसिफिकेशन बायस" का पता चलता है यानी संदेश को ज्यादा नकारात्मक भाव में लेना। इससे पता चलता है कि संदर्भ और संबंध हमारे संदेश को नकारात्मक भाव में लेने के स्तर को प्रभावित कर सकते हैँ। ईमेल को फिर से सुरक्षित बनाना चूंकि एक समाज के रूप में हमने नजरिया बना लिया है कि क्या सही है और क्या सही नहीं है, जल्दबाजी में लिखे गए संदेश को जानबूझकर लिखा गया संदेश समझा जा सकता है। अगर संगठन ईमेल संवाद को लेकर विवाद की संभावना को कम करना चाहते हैं, तो उन्हें कर्मचारियों को कुशलतापूर्वक ईमेल लिखने का प्रशिक्षण देना होगा। संवाद संबंधी प्रशिक्षण का उद्देश्य ईमेल में संदेश का गलत अर्थ निकाले जाने और ईमेल प्राप्त करने वाले में गैरइरादतन नकारात्मकता को समझने को लेकर जागरूकता का निर्माण करना होना चाहिए। इन चीजों से कार्यस्थल पर संबंधों को बेहतर करने में भी मदद मिलेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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