एक तरफ सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिश में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन के कारण खेती से होने वाली आय में 15 से 25 फीसदी तक कमी आने की संभावना जताई जा रही है। यह संभावना सोमवार (29 जनवरी) को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में की गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) की ओर से तापमान को लेकर लगाए गए अनुमानों के आधार पर भारत में खेती से होने वाली आय में औसतन 15 से 18 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि यह गिरावट असिंचित भूमि वाले इलाके में 20 से 25 फीसदी रह सकती है।
हालांकि सर्वेक्षण में यह भी जिक्र है कि सिंचाई की सुविधाओं में विस्तार और ऊर्जा व उर्वरक में अलक्षित सब्सिडी के बदले प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान कर जलवायु परिवर्तन के असर को कम किया जा सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक, खेती के वर्तमान आय स्तर पर किसानों की औसत आय 3,600 रुपये प्रति व्यक्ति घट सकती है।
बता दें, कृषि का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 16 फीसदी हिस्सेदारी है। साथ ही, इस क्षेत्र में 49 फीसदी लोगों को रोजगार मिल रहा है। सर्वेक्षण के मुताबिक, खेती की उपज घटने से महंगाई बढ़ सकती है और किसानों को तबाही का सामना करना पड़ सकता है। रपट के मुताबिक, देश में 14.10 करोड़ हेक्टेयर में से 7.32 करोड़ हेक्टेयर यानी 52 फीसदी कृषि भूमि असिंचित है।
गौरतलब है कि संसद का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 पेश किया। इस सर्वेक्षण के मुताबिक इस वर्ष जीडीपी ग्रोथ 6.75 प्रतिशत रही जो अगले वित्त वर्ष में 7-7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए वित्त मंत्री ने रोजगार, कृषि पर जोर देने की बात कही। वित्त वर्ष 2018-19 का केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा।