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चिदंबरम ने आर्थिक सर्वेक्षण को  बताया निराशाजनक, कहा- ज्वलंत मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं

By शीलेष शर्मा | Updated: July 4, 2019 20:05 IST

चिदंबरम ने आर्थिक सर्वेक्षण के विभिन्न खंडों का उदाहरण पेश करते हुए साफ किया कि आर्थिक सर्वेक्षण को देकर यह नहीं लगता कि उसमें कोई भविष्य के सकारात्मक संकेत है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती हो.

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नई दिल्ली, 4 जुलाई: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण को पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निराशाजनक बताया है. चिदंबरम ने आर्थिक सर्वेक्षण के विभिन्न खंडों का उदाहरण पेश करते हुए साफ किया कि आर्थिक सर्वेक्षण को देकर यह नहीं लगता कि उसमें कोई भविष्य के सकारात्मक संकेत है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती हो.

कांग्रेस ने भी मोदी सरकार के पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण को देखकर लगता है कि अर्थव्यवस्था की जर्ज़र होती स्थिति के बावजूद सरकार जाग नहीं रही है और ज्वलंत मुद्दों पर उसका कोई ध्यान नहीं है.

पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षो में मोदी सरकार आर्थिक क्षेत्र में कुप्रबंधन के कारण हर बिंदु पर विफल साबित हो चुकी है और 2019 का जो आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया है वह केवल निराशाजनक ही नहीं बल्कि सरकार की अर्कमाण्यता को प्रदर्शित करता है.

रोजगार की स्थिति को केंद्रित करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में ऐसा कोई रोड़ मैप नजर नहीं आता जिससे यह उम्मीद लगाई जाए कि भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा होगें. उन्होंने एनएसएसओ के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि बेरोजगारी पिछले 45 सालों में आज सबसे उच्च स्तर पर है जो 6.1 फीसदी आंकी गयी है. पार्टी प्रवक्ता ने सीएमआईई का हवाला देते हुए बेरोजगारी के 25.6.2019 के आंकड़ों का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि बेरोजगारी की दर 8.1 फीसदी तक जा पहुंची है और लगभग 4.7 करोड़ लोग बेरोजगार हुए है. दिहाड़ी के मजदूर और कृषि मजदूरों के सामने भी रोजगार जाने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है. 

आर्थिक सर्वेक्षण में सात फीसदी जीडीपी विकास का जो आंकलन वित्तीय वर्ष 2020 के लिए अनुमान किया गया है वह कहीं से होता नजर नहीं आता. क्योंकि किसी भी क्षेत्र में विकास के कोई संकेत होने की बात  इस सर्वेक्षण में सामने नहीं आई है. आर्थिक विकास दर पांच वर्षो में गिरी है, 2018-19 में निरंतर गिरावट के संकेत पहले ही मिल चुके है.

नया निवेश 15 सालों में सबसे निचले स्तर पर है सार्वजनिक क्षेत्र में 41 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है और निजी क्षेत्र में भी स्थिरता से अर्थव्यवस्था चरमराती नजर आ रही है. निर्यात उत्पादन लघु एवं मंझौले उद्योग में जो गिरावट देखी जा रही है वह इसी ओर इशारा करती है. कांग्रेस ने कृषि क्षेत्र में आय संकट का जिक्र करने के साथ-साथ वित्तीय सेवाओं के सामने खड़े संकट का उल्लेख कर कहा कि यह भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है जिससे देश की आर्थिक तस्वीर दिनों-दिन धुंधली होती जा रही।

टॅग्स :पी चिदंबरमभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसइकॉनोमीबजट 2019
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