नयी दिल्ली, आठ नवंबर केंद्र ने सोमवार को देशभर में फैली 97,000 से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी) को आधुनिक और डिजिटल बनाने की नई केंद्रीय योजना के बारे में 32 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वर्चुअल तरीके से परामर्श बैठक की।
पीएसी जिसे आमतौर पर कृषि सहकारी ऋण समितियों के रूप में जाना जाता है, सहकारी सिद्धांतों पर आधारित ग्रामीण स्तर की ऋण देने वाली संस्थाएं हैं। ये ग्रामीण लोगों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लघु और मध्यम अवधि के लिए कर्ज प्रदान करती हैं।
देशभर में लगभग 97,961 पीएसी हैं, जिनमें से लाभप्रद पीएसी की संख्या लगभग 65,000 हैं।
केंद्रीय सहकारिता सचिव डी के सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्तावित केंद्रीय योजना पर विस्तार से चर्चा हुई और राज्यों से सुझाव मांगे गए।
बैठक में 26 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य सहकारी सचिवों और सहकारिता पंजीयकों (रजिस्ट्रार) ने भाग लिया।
बैठक में शामिल सहकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, '‘कई राज्यों ने प्रस्तावित योजना का स्वागत किया और कहा कि वे इसे लेकर उत्साहित हैं।'
अधिकारी ने कहा कि राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श प्रस्तावित योजना के लिए आवश्यक बजट की आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया गया। इस योजना को वर्ष 2022 से तीन साल की अवधि के लिए देशभर में पूरी तरह कार्यात्मक 63,000 पीएसी में शुरू में लागू किए जाने की संभावना है।
कुछ राज्यों ने प्रस्तावित योजना के लिए सुझाव दिए। उदाहरण के लिए, तेलंगाना सरकार ने कंप्यूटरीकरण के महत्व के बारे में सदस्यों और पीएसी के वरिष्ठ प्रबंधन को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अधिकारी ने कहा कि दादर और नगर हवेली सरकार ने सुझाव दिया कि जियो-टैगिंग के बाद प्रत्येक पीएसी के पास एक विशिष्ट पहचान संख्या होनी चाहिए।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की राज्यों के साथ यह दूसरी बैठक है। पीएसी के कामकाज का अंदाजा लगाने के लिए पहली बैठक केवल तीन राज्यों उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक के साथ हुई थी।
अधिकारी ने कहा कि इसके बाद, मंत्रालय की नाबार्ड के साथ बैठक करने की योजना है, जो प्रस्तावित योजना के तहत पीएसी के आधुनिकीकरण के लिए एक समन्वय करने वाली एजेंसी बनने जा रही है।
मौजूदा समय में उत्तराखंड, पंजाब और तेलंगाना ने अपने पीएसी को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत कर दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने आंशिक रूप से ऐसा किया है। केरल जैसे कुछ राज्यों ने कम्प्यूटरीकरण के लिए निविदाएं जारी की हैं।
वर्ष 2017 में सरकार ने 1,950 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ पीएसी को कम्प्यूटरीकृत करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी।
सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए इस साल जुलाई में एक नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया था। यह नई सहकारी नीति और कुछ केंद्रीय योजनाओं पर काम कर रहा है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।