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केंद्र ने राज्यों से एथनाल क्षमता स्थापित करने में उद्यमियों की सुविधा के लिए कहा

By भाषा | Updated: January 29, 2021 15:51 IST

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी केंद्र ने शुक्रवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे एक सरकारी योजना के तहत एथनाल उत्पादन इकाइयां स्थापित करने में उद्यमियों को सुविधा प्रदान करें और ऐसी परियोजना के लिए जमीन तथा पर्यावरण विभाग की मंजूरी की व्यवस्था करें।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की योजना के तहत कंपनियों को एथनाल उत्पादन क्षमता के विस्तार करने या फीड स्टॉक से पहली पीढ़ी के एथनाल के उत्पादन की नयी डिस्टिलरी स्थापित करने के लिए रियायती ऋण दिया जाता है।

इस साल 14 जनवरी को अधिसूचित की गई योजना को सरकार ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल के साथ एथनाल के 10 प्रतिशत और वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत के सम्मिश्रण करने के लक्ष्य रखते हुए घोषित किया था।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने हाल ही में भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) सहित राज्यों की सरकारों और उद्योग संघों के साथ एक आभासी बैठक की और उनसे योजना को बढ़ावा देने और उद्यमियों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘राज्य सरकारों से भी अनुरोध किया गया है कि वे इस परियोजना के लिए भूमि की व्यवस्था , जल्द से जल्द पर्यावरणीय स्वीकृति प्रप्ति करने और भट्टियां स्थापित करने में मदद करें।’’

यह भी सुझाव दिया गया था कि हर राज्य को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति का गठन करना चाहिए और इसमें राज्य उत्पाद शुल्क प्राधिकरण, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उद्योग विभाग, उद्योग संघों, उद्यमियों और केंद्र सरकार के अधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिये ताकि मासिक आधार पर इस स्कीम के कार्यान्वयन की समीक्षा हो सके और यदि उद्यमियों को काई अड़चनें आती हों तो उन्हें समयबद्ध तरीके से निपटानर सुनिश्चित किया जा सके।

सरकार के कार्यक्रम में गन्ने से 60 लाख टन अतिरिक्त चीनी की जगह एथनाल बनाने का लक्ष्य है। इससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी और लगभग 135 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न के उपयोग से किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा, उद्यमियों द्वारा निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सृजन में मदद मिलेगी, अलग अलग जगहों पर एथनाल के उत्पादन होने से परिवहन की लागत कम होगी और कच्चे तेल का आयात घटने से भारत को पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

इसमें कहा गया कि सरकार का कहना है कि इस योजना के कार्यान्वयन के साथ, देश में एथनाल उत्पादन क्षमता मौजूदा 684 करोड़ लीटर से बढ़कर वर्ष 2025 तक 1,500 करोड़ लीटर के जरुरत भर के स्तर तक पहुंच जाएगा, ताकि पेट्रोल में एथनॉल के सम्मिश्रण कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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