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Cabinet approves: 1.5 फीसदी ब्याज दर पर ही मिलेगा 3 लाख तक का शॉर्ट टर्म कृषि लोन, किसानों को फायदा, कैबिनेट का फैसला, जानें बड़ी बातें

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 17, 2022 16:05 IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण पर डेढ़ प्रतिशत ब्याज सहायता को मंजूरी दी।

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ठळक मुद्देक्रेडिट लाइन गारंटी योजना की सीमा 50,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने को मंजूरी दी है। इस कदम का मकसद कृषि क्षेत्र के लिये पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना है। 2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिये 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधान की आवश्यकता होगी।

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट फैसला के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट ने 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक कृषि ऋण पर 1.5 फीसदी सालाना की ब्याज छूट को मंजूरी दी। किसानों को फायदा मिलेगा।

कृषि क्षेत्र में पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। कैबिनेट ने यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की सीमा 50,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने को मंजूरी दी है। इस कदम का मकसद कृषि क्षेत्र के लिये पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सभी वित्तीय संस्थानों के लिये अल्पकालीन कृषि कर्ज के लिये 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता योजना बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।

इसके तहत कर्ज देने वाले संस्थानों (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, छोटे वित्त बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और कंप्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) को वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिये किसानों को दिए गए तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कर्ज के एवज में 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता दी जाएगी।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘ब्याज सहायता के तहत 2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिये 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधान की आवश्यकता होगी।’’ ब्याज सहायता में वृद्धि से कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह बना रहेगा और साथ ही वित्तीय संस्थानों की वित्तीय सेहत और कर्ज को लेकर व्यवहार्यता सुनिश्चित होगी। समय पर कर्ज भुगतान करने पर किसानों को चार प्रतिशत ब्याज पर लघु अवधि का ऋण मिलता रहेगा।

फसल वर्ष 2021-22 में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.57 करोड़ टन रहने का अनुमान

भारत का गेहूं उत्पादन 2021-22 के फसल वर्ष में लगभग तीन प्रतिशत घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रहने का अनुमान है। वहीं कुल खाद्यान्न उत्पादन के 31 करोड़ 57.2 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। ‘लू’ के कारण गेहूं के उत्पादन में गिरावट का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तरी राज्यों में अनाज खराब हो गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए चौथा अग्रिम अनुमान जारी करते हुए बुधवार को कहा कि चावल, मक्का, चना, दलहन, रैपसीड एवं सरसों, तिलहन और गन्ने का भी रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। फसल वर्ष 2021-22 जुलाई, 2021 से जून, 2022 तक था। मंत्रालय के अनुसार, जून, 2022 में समाप्त फसल वर्ष में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31 करोड़ 57.2 लाख टन होने का अनुमान है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इतनी फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन सरकार की किसान हितैषी नीतियों के साथ-साथ कृषकों और वैज्ञानिकों की अथक मेहनत का नतीजा है।

फसल वर्ष 2020-21 में देश का खाद्यान्न उत्पादन जिसमें (गेहूं, चावल, दालें और मोटे अनाज) रिकॉर्ड 31 करोड़ 7.4 लाख टन रहा था। आंकड़ों के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं का उत्पादन कम यानी 10 करोड़ 68.4 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 10 करोड़ 95.9 लाख टन था।

हालांकि, समीक्षाधीन फसल वर्ष में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 13 करोड़ 2.9 लाख टन होने का अनुमान है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 12 करोड़ 43.7 लाख टन रहा था। मंत्रालय ने कहा कि मोटे अनाज का उत्पादन पांच करोड़ 13.2 लाख टन से घटकर पांच करोड़ नौ लाख टन रहने की संभावना है।

दलहन उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 के दो करोड़ 54.6 लाख टन की तुलना में रिकॉर्ड दो करोड़ 76.9 लाख टन होने का अनुमान है। गैर-खाद्यान्न श्रेणी में, तिलहन का उत्पादन पिछले वर्ष के तीन करोड़ 59.4 लाख टन के मुकाबले फसल वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड तीन करोड़ 76.9 लाख टन होने का अनुमान है।

फसल वर्ष 2021-22 के लिए तोरी/सरसों का उत्पादन रिकॉर्ड एक करोड़ 77.4 लाख टन होने का अनुमान है। आंकड़ों के अनुसार, गन्ने का उत्पादन पिछले वर्ष के 40 करोड़ 53.9 लाख टन की तुलना में रिकॉर्ड 43 करोड़ 18 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि कपास का उत्पादन तीन करोड़ 52.4 लाख गांठ से घटकर 3.12 करोड़ गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) रहने की उम्मीद है।

फसल वर्ष 2021-22 में जूट/मेस्टा का उत्पादन एक करोड़ 3.1 लाख गांठ (180 किलोग्राम प्रत्येक) होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 93.5 लाख गांठ ही का हुआ था। एक फसल वर्ष में, सरकार फसल वृद्धि और कटाई अवधि के विभिन्न चरणों में अंतिम अनुमान से पहले चार अनुमान जारी करती है।

(इनपुट एजेंसी)

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