कर्ज के तले दबी बायजूस को नहीं मिल रहा खरीददार, अब कंपनी ने जारी किए 'राइट इश्यू', जानें क्या है मामला
By आकाश चौरसिया | Published: February 11, 2024 10:28 AM2024-02-11T10:28:57+5:302024-02-11T10:54:37+5:30
बायजूस अपने 'ग्रेट लर्निंग' और 'एपिक' प्लेटफॉर्म जैसे प्लेटफॉर्म की बेचने की तैयारी कर रही है और इसके लिए वो किसी खरीददार की खोज कर रही। इन दोनों प्लेटफॉर्म के लिए कंपनी ने 600 मिलियन डॉलर मूल्य तय कर रखा है।
नई दिल्ली: बायजूस एक समय भारत की उभरती हुई स्टार्टअप एडटेक कंपनी हुआ करती थी, लेकिन आज कंपनी के सामने आर्थिक संकट बढ़ गया है। इस बात के चलते कंपनी ने अपनी संपत्तियों को बेचने का फैसला किया है, लेकिन उसे इस राह में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है।
बायजूस अपने 'ग्रेट लर्निंग' और 'एपिक' प्लेटफॉर्म जैसे प्लेटफॉर्म की बेचने की तैयारी कर रही है और इसके लिए वो किसी खरीददार की खोज कर रही। इन दोनों प्लेटफॉर्म के लिए कंपनी ने 600 मिलियन डॉलर तय कर रखा है। कंपनी के अनुसार, उसके द्वारा आंके गए मूल्य पर कोई खरीददार नहीं मिल रहा है।
कंपनी को अभी तक 'एपिक' प्लेटफॉर्म के लिए किसी भी खरीददार की ओर से कोई ऑफर नहीं मिला है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, बायजूस को ग्रेट लर्निंग के लिए 1.2 बिलियन डॉलर का ऋण चुकाना है। एपिक के लिए बायजूस 400 मिलियन डॉलर की मांग कर रहा है, लेकिन मार्केट विश्लेषकों की मानें तो उसके लिए यह रास्ता आसान नहीं होगा।
बायजूस 'एपिक' के जरिए रोजाना प्राप्त आय के तहत लेनदेन कर रहा है और सीधे शब्दों में कहें तो उसकी सारी बैंकिंग प्रक्रिया का स्रोत यही प्लेटफॉर्म है। बायजूस ने 200 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए 29 जनवरी को 25 मिलियन डॉलर की बेहद कम प्री-मनी कीमत पर एक राइट्स इश्यू जारी किया। 1.2 बिलियन डॉलर के कर्ज पर अनुबंध का उल्लंघन करने के बाद लेनदारों ने इस साल बायजूस पर मुकदमा दायर किया। इस गतिरोध ने संस्थापक बायजू रवीन्द्रन चर्चा में आ गए।
महामारी के दौर में अपनी सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बायजूस ने भारी खर्च किया, लेकिन परिणाम इसके उलट रहे। एक समय भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के प्रायोजक के रूप में प्रसिद्ध हुए और उस दौरान कंपनी ने अमेरिका और अन्य जगहों पर कई फर्में खरीदीं और विश्व स्तर पर विस्तार करने का प्रयास किया।
राइट्स इश्यू
राइट्स इश्यू किसी कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों को अधिकारों की पेशकश है जो उन्हें सीधे अतिरिक्त शेयर खरीदने का अवसर देता है।