भारतीय संसद के बज़ट सत्र का पूर्वार्ध 29 जनवरी से शुरू होकर नौ जनवरी तक चलेगा। देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फ़रवरी को नरेंद्र मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बज़ट पेश करेंगे। बज़ट सत्र का उत्तरार्ध पाँच मार्च से छह अप्रैल तक चलेगा। लोकसभा 2019 को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार के इस बज़ट को लेकर हर आमो-खास में बहुत जिज्ञासा है। लोकमत न्यूज़ इस दौरान बज़ट से जुड़ी विशेष रपट और लेख प्रकाशित करता रहेगा। इस कड़ी में आज हम पेश कर रहे आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री और पहले बज़ट से जुड़ी कुछ खास बातें।
आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में देश की पहली सरकार बनी। सर रामासामी चेट्टी कंडासामी शनमुखम चेट्टी स्वतंत्र भारत का पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने आजाद देश का पहला बज़ट 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। पहले बज़ट में वित्त मंत्री ने कुल 171.15 करोड़ रुपये राजस्व का अनुमान लगाया था। पहले बज़ट में अनुमानित वित्तीय घाटा 24.59 करोड़ रुपये आंका गया था। देश के पहले बज़ट में कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया गया। ब्रिटिश शासन के जमाने से ही फ़रवरी के आखिरी दिन केंद्रीय बज़ट पेश करने की परंपरा चली आ रही थी। चूँकि अगले साल (वित्त वर्ष 1948-49) का बज़ट महज तीन महीने बाद ही पेश किया जाना था इसलिए चेट्टी ने पहले बज़ट में देश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा मात्र पेश की। आरके शनमुखन चेट्टी जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1949 तक वित्त मंत्री रहे थे। उनकी जगह जॉन मथाई आजाद देश के दूसरे वित्त मंत्री बने थे। आरके शनमुखन चेट्टी ने अपना बज़ट भाषण इन पंक्तियों के साथ शुरू किया था, "मैं आजाद और संप्रभु भारत का पहला बज़ट पेश करने के लिए प्रस्तुत हुआ हूँ। इसे एक ऐतिहासिक मौका माना जा सकता है इसलिए भारत के वित्त मंत्री के तौर पर इस बज़ट को पेश करते हुए मैं खुद को सौभाग्यशाली समझ रहा हूँ। इस अवसर के साथ जुड़े सम्मान के प्रति पूरी तरह सचेत रहते हुए इस निर्णायक मोड़ पर भारत की अर्थव्यवस्था के अभिभावक के तौर पर मुझे इससे जुड़ी जिम्मेदारियों का कहीं ज्यादा अहसास है।"
आरके शनमुखन चेट्टी ने अपना बज़ट भाषण इन पंक्तियों के साथ समाप्त किया था, "मैं अपना बज़ट भाषण इस सदन और इसके माध्यम से पूरे देश से एक अपील करते हुए खत्म करना चाहूँगा। पिछली दो सदियों में पहली बार हमारी अपनी सरकार है जो इस देश की जनता के प्रति जवाबदेह है।"
आरके शनमुखन चेट्टी का परिचय
राजनेता आरके शनमुखन चेट्टी पेशे से वकील थे। वे अर्थशास्त्र और कारोबार के जानकार थे। आरके शनमुखन चेट्टी का जन्म 17 अक्टूबर 1892 को कोयम्बटूर में हुआ था। उन्होंने मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। 28 साल की उम्र में वो मद्रास लेजिसलेटिव असेंबली के सदस्य बने। तीन साल बाद वो सेंट्रल असेंबली के सदस्य चुन लिए गये। 1933 से 1935 तक वो भारत की सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली के अध्यक्ष रहे थे। ब्रिटिश सरकार ने तीन जून 1933 को उन्हें नाइट कमांडर ऑफ दी ऑर्डर ऑफ दी एम्पायर की उपाधि दी और उनके नाम के आगे सर जुड़ गया। 1935 से 1941 तक वो कोचिन रियासत के दीवान रहे थे। पाँच मई 1953 को कोयम्बटूर में दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया। अपने पीछे वो अपनी पत्नी और तीन बेटियों को छोड़ गये थे।