नयी दिल्ली, दो अप्रैल घरेलू दूरसंचार उपकरण कंपनियों ने आरोप लगाया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल की 1,072 करोड़ रुपये की कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीपीय (केएलआई) सबमरीन केबल (समुद्री केबल) परियोजना के नियम घरेलू विनिर्माताओं पर ‘अंकुश’ लगाने वाले हैं।
दूरसंचार उपकरण एवं सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (टीईपीसी) और भारतीय दूरसंचार उपकरण विनिर्माता संघ (टीईएमए) ने इस बारे में दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई है। पत्र में कहा गया है कि बीएसएनएल द्वारा निकाली गई निविदा से ऐसा लगता है कि सिर्फ एक विदेशी कंपनी की एकल बोली ही आएगी।
घरेलू दूरसंचार उपकरण कंपनियों ने परियोजना में रिपीटर केबल को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है। टीईपीसी ने कहा कि यह प्रौद्योगिकी सिर्फ कुछ विदेशी कंपनियां इस्तेमाल करती हैं और बीएसएनएल की पिछली दो निविदाओं में इनमें से सिर्फ एक ने बोली लगाई थी।
टीईपीसी ने कहा कि निविदा में 1,400 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार और 1,000 किलोमीटर तक 3,000 मीटर की गहराई में रिपीटर केबल लगाने के अनुभव जैसे प्रावधान अंकुश लगाने वाले हैं। इनमें मुख्य सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देशों के अनुरूप बदलाव किया जाना चाहिए।
टीईपीसी ने एक अप्रैल को दूरसंचार सचिव को लिखे पत्र में कहा गया कि रिपीटर पुरानी प्रौद्योगिकी है। सिर्फ कुछ कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं। इनमें से एक कंपनी ने पूर्व की निविदाओं में बोली लगाई थी और उसे चुन लिया गया था और एकल बोली का मामला होने के बावजूद खरीद ऑर्डर दिया गया था।
टीईपीसी ने कहा कि प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन की अगुवाई वाले अधिकार प्राप्त प्रौद्योगिकी समूह ने भी ऊंचे पूंजीगत खर्च से बचने तथा भारतीय नौसेना की जरूरत से समझौता किए बिना रिपीटरलेस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की सिफारिश की है।
टीईएमए ने भी दूरसंचार सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि प्रतिकूल स्थिति के बावजूद 25 मार्च को बोली पूर्व बैठक में 15 भारतीय कंपनियों सहित 25 कंपनियां शामिल हुईं।
पत्र में कहा गया है कि बैठक में 22 भारतीय और विदेशी कंपनियों ने पात्रता मानदंड पर चिंता जताते हुए कहा कि ये नियम सीवीसी के दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं।
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