धान का कटोरा से निकल रहे सीमांचल किसान?, ड्रैगन फ्रूट की फसलें उगाकर बढ़ा रहे हैं आय

By एस पी सिन्हा | Updated: December 13, 2025 15:38 IST2025-12-13T15:36:06+5:302025-12-13T15:38:01+5:30

किशनगंज जिले के किसान धनराज सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अमूनन तीन से चार लाख का खर्च आता है।

bihar kisan dhan ka katora farmers leaving increasing income growing dragon fruit crops | धान का कटोरा से निकल रहे सीमांचल किसान?, ड्रैगन फ्रूट की फसलें उगाकर बढ़ा रहे हैं आय

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Highlightsपारंपरिक फसलों से अधिक लाभदायक और कम मेहनत वाला साबित हो रहा है।शुरुआत में 10 कट्ठा में खेती शुरू की, अब अच्छी कमाई हो रही है।ड्रैगन फ्रूट के लिए पौधा लगाने का समय फरवरी-मार्च के बीच का है।

पटनाः बिहार में सीमांचल का क्षेत्र धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यहां धान की खेती भी काफी मात्रा में होती है। लेकिन हर साल बाढ़ किसानों की कमर तोड़ देती है और हजारों एकड़ धान की खेती बाढ़ के पानी से बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में किसानों ने धान के बदले ऐसी खेती करना शुरू कर दिया है। जिससे उन्हें कोई समस्या नहीं है। लेकिन किशनगंज, अररिया और कटिहार जिलों में, ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसानों की किस्मत बदल रही है, क्योंकि यह पारंपरिक फसलों से अधिक लाभदायक और कम मेहनत वाला साबित हो रहा है।

इस खेती से क्षेत्र में एक नया आर्थिक बदलाव आया है, जहां किसान ड्रैगन फ्रूट की फसलें उगाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं और पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया कर रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान लाखों कमा रहे हैं। किसानों ने परंपरागत खेती छोड़ इस नई खेती को अपनाया। शुरुआत में 10 कट्ठा में खेती शुरू की, अब अच्छी कमाई हो रही है।

किशनगंज जिले के किसान धनराज सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अमूनन तीन से चार लाख का खर्च आता है। ड्रैगन फ्रूट के लिए पौधा लगाने का समय फरवरी-मार्च के बीच का है। जबकि एक पौधे की कीमत लगभग ₹80 तक होती है। पौधे के रखरखाव और इसकी उचित वृद्धि के लिए पौधे के साथ पिलर खड़ा कर दिया जाता है।

पौधे में फल लगना जून महीने से शुरू हो जाता है और नवंबर-दिसंबर तक लगता रहता है। एक बार पौधा तैयार होने के बाद इससे लंबे समय तक फल निकलता है। फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं। ड्रैगन फ्रूट की डिमांड सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी होती है।

ड्रैगन फ्रूट की मार्केट प्राइस प्रति किलो ₹400-600 प्रति किलो है। किसान सुरेश कुमार ने बताया कि धान और केला में नुकसान के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। इससे उन्हें बेहतर आमदनी मिल रही है और घर परिवार भी खुशहाल है। उन्होंने बताया कि इसकी खेती के लिए अगर कृषि विभाग प्रोत्साहित करने की पहल करता है तो यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है।

जानकारों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही अन्य बीमारियों में भी कारगर है। इसका उपयोग मधुमेह, कैंसर सहित दिल के मरीजों के उपचार में किया जाता है। जबकि पोषण तत्व से भरपूर होने के कारण यह सामान्य लोगों के लिए भी काफी उपयोगी है। गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है।

इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका फल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, कोशिकाओं और ह्रदय की सुरक्षा के साथ फाइबर से भरपूर होता है। इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है। 

बताया जाता है कि ड्रैगन फ्रूट की बाजार में अच्छी कीमत है (₹400-600 प्रति किलो), जिससे किसानों को प्रति कट्ठा ₹30-40 हजार तक का मुनाफा हो सकता है। सीमांचल में कई किसान अब परंपरागत फसलों जैसे मक्का और जूट की जगह ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि इसमें शुरुआती लागत के बाद मेहनत और लागत कम हो जाती है।

हालांकि कई किसान ड्रैगन फ्रूट के साथ-साथ मिश्रित खेती भी कर रहे हैं, जैसे कि सब्जियां या अन्य फल, जिससे आय के कई स्रोत बन रहे हैं और जोखिम कम हो रहा है। उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केंद्र जैसे संस्थान किसानों को ड्रैगन फ्रूट की स्मार्ट खेती के लिए नवीनतम तकनीकों पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर रहे हैं, जिससे यह खेती और भी अधिक कुशल बन रही है।

किसानों के अनुसार अनानास जैसी अन्य फसलों के लिए अभी भी बड़े और अच्छे बाजार और जूस जैसी फैक्ट्रियों की कमी है, जो इस क्षेत्र की कृषि विविधता में एक बड़ी बाधा है। हालांकि सीमांचल में ड्रैगन फ्रूट की खेती एक सफल और लाभदायक मॉडल के रूप में उभर रही है, जो किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहा है और क्षेत्र में एक नए कृषि युग की शुरुआत कर रहा है।

यही कारण है कि किसानों में अब ड्रैगन फ्रूट और मखाना की खेती का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। बागवानी विभाग के अनुसार ड्रैगन फ्रूट को लेकर कलस्टर बनाए गए हैं। पूर्णिया जिले के रूपौली में कलस्टर बन चुका है। बनमनखी में कलस्टर बनने वाला है। ड्रैगन फ्रूट के विस्तार को लेकर कृषि महाविद्यालय में अब अनुसंधान भी शुरू कर दिया गया है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान हैदराबाद से ड्रैगन फ्रूट का प्लांट मंगाते हैं। ड्रैगन फ्रूट की करीब 150 किस्म होती है। दमैली, रूपौली के किसान हैदराबाद से प्लांट मंगाते हैं। किसानों को ढाई लाख रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान भी मिलता है। पूर्णिया के जिलाधिकारी अंशुल कुमार कहते हैं कि एग्रीकल्चर हमारा कल्चर है।

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