बीते साल अक्टूबर में देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय हुआ था. इस बीच ख़बर है कि आने वाले दिनों में बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक का विलय हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इस बारे में फैसला कर सकती है. अगर बैंक विकल्प प्रदान करने में सक्ष्म नहीं होते तो सरकार अल्टरनेटिव मैकेनिज्म की ओर देखेगी.
आरबीआई ने बैंक ऑफ़ इंडिया पर प्रोम्प करेक्टिव एक्शन लगाया था जिसे हाल ही में हटाया गया है. यूनियन बैंक भी अपने सुधार के शुरूआती चरणों में है. पंजाब नेशनल बैंक अभी भी नीरव मोदी घोटाले के मामले से पूरी तरह उबर नहीं पायी है.
पिछले हफ्ते इकॉनोमिक टाइम्स से बातचीत में पीएनबी के प्रबंध निदेशक सुनील मेहता ने कहा है कि उनका बैंक पीएनबी घोटाले से उबर चुका है.
बैंकों के विलय से सरकार इनके खर्चे को कम करना चाहती है.
सरकारी बैंकों की एक बड़ी समस्या बैड लोन है और एक अनुमान के मुताबिक, अभी भी 7 लाख करोड़ से ज्यादा का एनपीए है.