नारायण मूर्ति को अजीम प्रेमजी ने नहीं दी थी विप्रो में नौकरी, बाद में हुआ था अफसोस- रिपोर्ट

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 14, 2024 09:55 AM2024-01-14T09:55:07+5:302024-01-14T09:58:50+5:30

विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी की एक गलती के कारण नारायण मूर्ति ने भारत की दिग्गज टेक कंपनी इंफोसिस को जन्म दिया।

Azim Premji did not give job to Narayan Murthy in Wipro, later regretted - report | नारायण मूर्ति को अजीम प्रेमजी ने नहीं दी थी विप्रो में नौकरी, बाद में हुआ था अफसोस- रिपोर्ट

फाइल फोटो

Highlightsविप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी की एक गलती के कारण नारायण मूर्ति ने रखी थी इंफोसिस की नींवनारायण मूर्ति ने विप्रो में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जिसे अजीम प्रेमजी ने ठुकरा दिया थाआज इंफोसिस का मूल्य 6.65 लाख करोड़ रुपये है, वहीं विप्रो का मूल्य 2.43 लाख करोड़ रुपये है

नई दिल्ली: विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी की एक गलती के कारण भारत की दिग्गज टेक कंपनी इंफोसिस का जन्म हुआ था। इस बात का खुलासा खुद इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने किया। उन्होंने कहा कि विप्रो में किये उनके नौकरी के आवेदन को ठुकराने का नतीजा इंफोसिस है।

भारत के अरबपति व्यवसायी नारायण मूर्ति ने ने बीते शनिवार को सीएनबीसी-टीवी18 को दिये इंटरव्यू में इस किस्से को बताते हुए कहा कि बाद में अजीम प्रेम जी ने उनसे कहा था कि उन्हें काम पर न रखना वो अपनी बड़ी भूल मानते हैं।

77 साल के नारायण मूर्ति ने कहा, ''अजीम ने एक बार मुझसे कहा था कि उसने जो सबसे बड़ी गलती की, वह कि उसने मुझे अपने यहां काम पर नहीं रखा।''

उन्होंने आगे कहा कि अगर उन्हें अजीम प्रेम जी ने उस समय विप्रो में काम पर रख लिया गोता तो उनके लिए और प्रेमजी दोनों के लिए चीजें अलग-अलग होतीं।

नारायण मूर्ति ने साल 1981 में अपने छह दोस्तों की मदद और पत्नी सुधा मूर्तिसे मिली 10 हजार रुपये की धनराशि से इंफोसिस की नींव रखी थी। मूर्ति ने जब इंफोसिस की शून्य से शुरुआत की, उस समय प्रेमजी ने विरासत में मिले वनस्पति तेल साम्राज्य को एक आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में बदला था।

नाराय़ण मूर्ति की इंफोसिस के गढ़ने की शुरूआत आईआईएम अहमदाबाद से उस वक्त शुरू हुई, जब वो एक शोध सहयोगी के रूप में वहां पर नौकरी कर रहे थे। उन्होंने बाद में वहां पर मुख्य सिस्टम प्रोग्रामर के रूप में काम किया और एक सहयोगी के साथ मिलकर टीडीसी 312 के लिए भारत का पहला बेसिक दुभाषिया विकसित किया। यह 1960 के दशक के अंत में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा निर्मित कंप्यूटर था।

इसके बाद उन्होंने अपनी आईटी कंपनी सॉफ्ट्रोनिक्स शुरू की किया, जो साल 1981 में इन्फोसिस के जन्म लेने से पहले फेल हो गई थी। लेकिन बाद में नारायण मूर्ति की मेहनत रंग लाई और मौजूदा समय की बात करें तो 12 जनवरी 2024 तक इंफोसिस का मूल्य 6.65 लाख करोड़ रुपये है, वहीं विप्रो का मूल्य 2.43 लाख करोड़ रुपये है।

Web Title: Azim Premji did not give job to Narayan Murthy in Wipro, later regretted - report

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