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अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहनों की एक और खुराक, आवास बिक्री पर और राहत, नये रोजगार पर पीएफ सहायता

By भाषा | Updated: November 12, 2020 19:32 IST

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नयी दिल्ली, 12 नवंबर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों की एक और खुराक का एलान किया। आवास क्षेत्र में कुछ चुनींदा बिक्री सौदों पर राहत की घोषणा की गई है। वहीं, छोटे कारोबारियों के लिए पहले से चल रही ऋण गारंटी सुविधा कार्यक्रम की अवधि इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों को भविष्य निधि सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है।

ताजा प्रोत्साहनों में अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी तथा विनिर्माण इकाइयों के लिए पहले घोषित की जा चुकी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना शामिल है। इनसभी प्रोत्साहन उपायों को मिलाकर लॉकडाउन की घोषणा के बाद से अब तक घोषित कुल राहत पैकेज की राशि करीब 30 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 15 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।

वित्त मंत्री द्वारा आज घोषित प्रोत्साहनों में रियल एस्टेट डेवलपर और ठेकेदारों के लिए अतिरिक्त वित्तपोषण, एक नई रोजगार प्रोत्साहन योजना और ग्रामीण रोजगार के लिए अतिरिक्त व्यय शामिल है।

उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर में बढ़ोतरी, ऊर्जा खपत में वृद्धि और बैंक ऋण में तेजी जैसे आंकड़ों का भी हवाला दिया और कहा कि अर्थव्यवस्था में जोरदार सुधार देखने को मिल रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 24 प्रतिशत की तेज गिरावट देखने को मिली, लेकिन अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में मार्च 2021 तक कुल संकुचन 10 प्रतिशत के करीब रहेगा।

सीतारमण ने दो करोड़ रुपये मूल्य तक की आवास इकाइयों की पहली बार सर्कल दर से कम कीमत पर बिक्री पर आयकर नियमों में छूट देने की घोषणा की। अभी तक सर्किल दर से 10 प्रतिशत कम पर बिक्री करार मूल्य की इजाजत है। आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्टाम्प शुल्क वाले सर्कल दर मूल्य से 20 प्रतिशत कम दाम पर भी दो करोड़ रुपये तक की आवासीय इकाइयों के सौदे हो सकेंगे।

नई रोजगार सृजन योजना के तहत नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को कर्मचारियों के भविष्य निधि योगदान के मामले में सब्सिडी दी जाएगी। सब्सिडी के तहत दो साल के लिए सेवानिवृत्ति निधि में कर्मचारियों के साथ ही नियोक्ताओं के योगदान को भी शामिल किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने बताया कि 15,000 रुपये तक मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारी ही इस योजना के दायरे में आयेंगे। इसी तरह तीन लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का लाभ अब 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है, जिसके तहत छोटे कारोबारी बिना कुछ गिरवी रखे ऋण पा सकते हैं।

सरकार ने परेशानी का सामना कर रहे 26 क्षेत्रों की पहचान की है, और इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों की कंपनियों को एक साल के लिए ऋण की किश्त स्थगन का लाभ मिलेगा और धनराशि चुकाने के लिए चार और साल मिलेंगे।

उन्होंने विनिर्माण इकाइयों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन कार्यक्रम का जिक्र भी किया, जिसे सरकार पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

इससे पहले मोबाइल विनिर्माताओं, कुछ खास दवा विनिर्माताओं और अब ऑटोमोबाइल, दूरसंचार, कपड़ा और खाद्य उत्पादों, इस्पात और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को इसमें शामिल किया गया है।

उन्होंने शहरी आवास योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रावधान की घोषणा की। इस घोषणा से रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी, जिससे अनेक क्षेत्रों में रोजगार मिलेगा और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

इसके अलावा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी देने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि किसानों को आगामी फसल सत्र के दौरान उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने 65,000 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

सीतारमण ने आगे कहा कि कर्ज सहायता के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्जिम बैंक को 3,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

कोविड-19 टीके पर शोध के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 900 करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा भी की है।

वित्त मंत्री ने कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में जोरदार सुधार देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश मे कोविड-19 के सक्रिय मामले एक समय 10 लाख से अधिक थे, जबकि अब ये मामले घटकर 4.89 लाख रह गए हैं और मृत्यु दर घटकर 1.47 प्रतिशत पर आ गयी है।

अर्थव्यवस्था में सुधार का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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