एम्फी का सरकार को सुझाव, बांड से जुड़ी बचत योजनाओं की अनुमति दी जाए
By भाषा | Updated: December 13, 2021 16:22 IST2021-12-13T16:22:31+5:302021-12-13T16:22:31+5:30

एम्फी का सरकार को सुझाव, बांड से जुड़ी बचत योजनाओं की अनुमति दी जाए
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने सरकार से सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों और बांड म्युचुअल फंड (एमएफ) पर लगने वाले कर में एकरूपता लाने और एमएफ एवं यूलिप के बीच समानता लाने की मांग की है।
एम्फी ने बजट के पहले सरकार को दिए गए अपने प्रस्ताव में ये सुझाव दिए हैं। इसके साथ ही उसने कहा है कि म्युचुअल फंड को कम लागत एवं कम जोखिम वाली कर-मुक्त बांड से जुड़ी (डेट लिंक्ड) बचत योजनाएं (डीएलएसएस) लाने की मंजूरी दी जानी चाहिए।
इसके अलावा डीएलएसएस में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर-लाभ दिए जाने की भी मांग सरकार से की गई है। यह लाभ कर-बचत वाली बैंक एफडी योजनाओं की तरह पांच वर्ष तक के निवेश पर ही देने का सुझाव दिया गया है।
फिलहाल इक्विटी से जुड़ी बचत योजनाओं पर ही आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर-लाभ मिलता है। यह छूट एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर मिलती है।
एम्फी ने यह अनुशंसा भी की है कि सभी पंजीकृत बीमा कंपनियों को अपना कोष प्रबंधन कार्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के जरिये संचालित करने की इजाजत दी जाए। इसी तरह एएमसी को भी कोष प्रबंधन सेवाएं बीमा कंपनियों को देने की छूट दी जाए।
म्यूचुअल फंड कंपनियों के संगठन ने वित्त मंत्रालय को सौंपे गए अपने प्रतिवेदन में कहा है कि सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों और बांड से संबंधित म्यूचुअल फंड पर लगने वाले कर में एकरूपता लाई जाए। सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियोंमें सीधे निवेश पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के लिए होल्डिंग अवधि को भी संतुलित करने की मांग की गई है।
इसके अलावा एम्फी ने बीमा कंपनियों की यूनिट-लिंक्ड निवेश योजनाओं (यूलिप) में किए गए निवेश की निकासी पर लगने वाले कर के संदर्भ में भी समरूपता का सुझाव दिया है। यह एमएफ एवं यूलिप के बीच समानता लाने के लिए जरूरी है।
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