मुंबई, 27 अप्रैल: लंबा चेहरा, छोटी-छोटी आंखें, चेहरे पर झुर्रियों के बीच से झांकती एक शैतानी भरी अदा को कौन भला भूल सकता है। अपनी आंखो और नटखट अंदाज से हर किसी को दीवाना करने वाली ने जिंदादिली की एक मिसाल की कही जाने वाली जोहरा सहगल का आज जन्मदिन हैं। जोहरा आखिरी दम तक कहती रहीं कि वो कभी बूढ़ी नहीं हो सकती हैं और ये सच भी था। आज वह बॉलीवुड की दादी वह होतीं, तो उनकी उम्र 106 साल होती।
साल 2014 में 102 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। जोहरा सहगल ने 'चीनी कम', 'हम दिल दे चुके सनम', 'दिल से', 'वीर ज़ारा' जैसी हिंदी फ़िल्मों में 'चुलबुली और ज़िंदादिल दादी' बनकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई उनकी जिंदगी को सलाम करने के लिए एक नजर डालते हैं, उन पन्नों पर जहां से उनके जाने के बाद भी जिंदगी की महक आती है-
जोहरा का परिश्रम
जोहरा सहगल का जन्म उत्तर प्रदेश के सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था। जोहरा का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा बेगम मुमताज-उल्लाह खान था। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई तरह की परेशानियों का सामना किया। एक साल की उम्र में ग्लूकोमा की वजह से उनकी आंखों को रोशनी लगभग चली गई थी। हालांकि उनका इलाज हुआ और वह ठीक हो गई। परिवारिक जीवन में उन्होंमे बचपन से ही की तरह के परिश्रम को झेला था।
जोहरा की शादी
जोहरा ने अपने से आठ साल छोटे कमेश्वर जोहरा से की थी। फिर भी दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर शादी कीय़जोहरा और उनके पति उदय शंकर के डांस ग्रुप में थे और भारत में इस अकेडमी के बंद होने तक इसमें शामिल रहे। हांलाकि उनके पति का निधन काफी जल्दी हो गया था।
क्रिकेट की थीं शौकीन
फिल्मों में अपनी चुलबुली अदाओं से दीवाना करने वाली जोहरा फिल्में लगभग ना के बराबर देखती थीं, लेकिन क्रिकेट मैच वो बड़े चाव से देखा करती थीं। आँखों की रोशनी कम होने के कारण बेटी किरण क्रिकेट के मैच के दौरान मैच का स्कोर लगातार जोहरा सहगल को बताया करती थीं। हालांकि उनका कोई पसंदीदा खिलाड़ी नहीं था लेकिन वह दीवानों की तरह से क्रिकेट देखना पसंद करती थीं।