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दर्दभरी आवाज के सरताज 'मुकेश' का आज है जन्मदिन, जानिए उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें

By विवेक कुमार | Updated: July 22, 2018 09:20 IST

मुकेश को बचपन से ही हिंदी फिल्मों का अभिनेता बनने का शौक था। बतौर एक्टर व सिंगर उनकी पहली फिल्म 'निर्दोष' थी।

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'मैं पल दो पल का शायर हूं', 'क्या खूब लगती हो', जैसे कई गानों को अपनी आवाज देने वाले मुकेश का आज जन्मदिन है। 22 जुलाई 1923 को दिल्ली जन्में मुकेश के पिता जोरावर चंद्र माथुर इंजीनियर थे। मुकेश उनके 10 बच्चों में छठे नंबर पर थे। उन्होंने दसवीं तक पढ़ाई कर पीडब्लूडी में नौकरी शुरू की थी। मुकेश को बचपन से ही हिंदी फिल्मों का अभिनेता बनने का शौक था। जिसे उन्होंने पूरा भी किया बतौर एक्टर व सिंगर उनकी पहली फिल्म 'निर्दोष' थी। जो कि साल 1941 में रिलीज हुई थी वैसे इसके अलावा इसके अलावा उन्होंने 'माशूका', 'आह', 'अनुराग'  में भी बतौर अभिनेता काम किया।

मुकेश ने अपना पहला गाना 'दिल ही बुझा हो तो' गाया था। वैसे करियर के शुरूआती दिनों में मुकेश को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन जहां चाह है वहीं राह है, 40 के दशक में मुकेश का अपना प्लेबैक सिंगिंग स्टाइल था। मुकेश की आवाज में सबसे ज्यादा गाने दिलीप कुमार पर फिल्माए गए थे। मुकेश ने 40 साल के लंबे करियर में लगभग 200 से अधिक फिल्मों के लिए गीत गाए।

वहीं 50 की दशक में उन्हें 'शोमैन' राजकपूर की आवाज कहा जाता था। अपने कई इंटरव्यू में राजकपूर ने कहा था कि मैं तो सिर्फ शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है। 

साल 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'अनाड़ी' के लिए राज कपूर को पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। वहीं मुकेश को 'सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी' के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था।

मुकेश फिल्मफेयर पुरस्कार पाने वाले पहले मेल सिंगर थे। उन्हें फिल्म 'अनाड़ी' से 'सब कुछ सीखा हमने', 1970 में फिल्म 'पहचान' से 'सबसे बड़ा नादान वही है', 1972 में 'बेइमान' से 'जय बोलो बेईमान की जय बोलो' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

फिल्म 1974 में 'रजनीगंधा' से 'कई बार यूं भी देखा है' के लिए नेशनल पुरस्कार, 1976 में 'कभी कभी' से 'कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मुकेश ने अपने करियर में हर तरीके के गाने गाए लेकिन उन्हें पहचान दर्द भरे गीतों से मिली, जिसकी वजह से मुकेश को 'दर्द का बादशाह' कहा जाता था। उन्होंने 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना', 'ये मेरा दीवानापन है',  जैसे कई गीतों को अपनी दर्दभरी आवाज दी।

मुकेश ने अपने करियर का आखिरी गाना अपने जिगरी दोस्त राजकपूर के लिए गाया था। जिसके बोल थे 'एक दिन बिक जाएगा, 'माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल'। 27 अगस्त, 1976 को अमेरिका में मुकेश को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 

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