October Film Review: इन पांच बातों के लिए जरूर देखें 'ऑक्टोबर'
By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 13, 2018 14:29 IST2018-04-13T14:29:10+5:302018-04-13T14:29:10+5:30
October Movie Review: ऑक्टोबर यानी हरश्रंगार का फूल। खूबसूरत और नर्म। श्रीकृष्ण इसे 'पारिजात' कहते थे। बंगाल में 'शिउली' कहा जाता है। एक ऐसा अनोखा पेड़ जो फूलों के फल बनने का इंतजार नहीं करता। चांदनी रात में चमकता है, सूर्योदय से पहले गिर जाता है।

October Film Review: इन पांच बातों के लिए जरूर देखें 'ऑक्टोबर'
वरुण धवन और बनिता संधू के अभिनय से सजी फिल्म 'ऑक्टोबर' 13 अप्रैल को रिलीज हो चुकी है।। एक ऐसे वक्त में जब समाज नफरत के ईंधन से चल रहा हो, ऑक्टोबर जैसी फिल्म सुकून दे जाती है। इस फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग जूही चतुर्वेदी ने पिरोए हैं। निर्देशन शूजित सरकार का है। संगीत शांतनु मोइत्रा ने दिया है। इन तीनों के कॉम्बिनेशन ने फिल्म को एक खूबसूरत कविता सरीखा बना दिया है, जो कम शब्दों में गहरा असर करती है। 'ऑक्टोबर' फिल्म देखने की तमाम वजहें हो सकती हैं लेकिन पांच बातों की वजह से इसे महसूस किया जाना चाहिए।
1. निर्देशक शूजित सरकार ने बेहद बारीकी से फिल्म के हर सीन को गढ़ा है। बिना किसी भारी भरकम डायलॉग के फिल्म बहुत कुछ कह जाती है। फिल्म स्लो होने के बावजूद स्पिरिट से भरी हुई है। दरअसल, फिल्म देखते हुए आप भूल जाते हैं कि ये पर्दे पर कोई मूवी चल रही है। आप फिल्म का एक हिस्सा बन जाते हैं। उसके किरदारों को करीब से महसूस करते हैं। जो बिल्कुल असल जिंदगी के किरदार लगते हैं।
2. डैन और शिउली के मासूम इमोशन आपको अपने साथ बांध लेंगे। फिल्म का सबसे खूबसूरत पक्ष डैन और शिउली के बीच हॉस्पिटल के सीन हैं। उनके बीच जो अनकहा रिश्ता है उसे दिखाना शायद आसान काम नहीं रहा होगा। शूजित सरकार और जूही चतुर्वेदी ने इसे खूबसूरती से लिखा और फिल्माया है। आप दिल में एक दर्द लेकर मुस्कुराते हैं। इन दोनों के बीच का रिश्ता आपको हंसाते हुए भी भावुक कर जाता है।
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3. ऑक्टोबर फिल्म में कभी भी ऐसा नहीं लगता कि ह्यूमर के लिए कोई अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। बिना जोक या अतिरिक्त एक्टिंग के कहानी के साथ ही बहते हुए आप खिलखिला पड़ते हैं। हंसते हैं डैन की मासूमियत पर। अगले ही पल आपको अपनी ही हंसी पर मलाल होता है। लेकिन फिर हंस पड़ते हैं। इस फिल्म की लेखक जूही चतुर्वेदी ने कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग को ऐसे पिरोया है फिल्म का सन्नाटा भी बहुत कुछ कह जाता है।
4. फिल्म के सिनेमैटोग्राफर अविक मुखोपाध्याय हैं। उनके बनाए फ्रेम 'ऑक्टोबर' को और निखारकर सामने लाते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर शांतनु मोइत्रा ने दिया है। स्क्रीन पर एक भी गाने नहीं हैं इसके बावजूद बैकग्राउंड स्कोर इतना मजबूत है कि फिल्म की सॉफ्टनेस और ड्रामे के सीन बेहद प्रभावशाली लगते हैं।
5. इस फिल्म की सबसे खास बात है इसका नाम 'ऑक्टोबर'। इस नाम के पीछे की असली वजह के लिए आपको फिल्म देखना पड़ेगा जोकि क्लाइमेक्स में समझ आती है। लेकिन हम यहां अमिताभ बच्चन का एक ट्वीट दे रहे हैं जिससे आपको थोड़ा हिंट जरूर मिल जाएगा। 'ऑक्टोबर फिल्म, एक पुष्प हरश्रंगार का, जेंटल, सॉफ्ट, श्रीकृष्ण इसे पारिजात कहते थे, बंगाल में शिउली कहा जाता है। एक ऐसा अनोखा पेड़ जो फूलों के फल बनने का इंतजार नहीं करता। चांदनी रात में चमकता है, सुबह होने से पहले झड़ जाता है।'