अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपने डर वाले बयान पर फिर से बोला है। विवादों के बीच उनका एक नया वीडियो सामने आया है। वीडियो में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह कहते हुए दिख रहे हैं कि देश में धर्म के नाम पर नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही है और इस ''अन्याय'' के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सजा दी जा रही है। हक़ की आवाज उठाने वाले लोग जेल में बंद हैं।'' ये इंटरव्यू अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने ऐमनेस्टी इंटरनैशनल को दिया है।
ह्यूमन राइट्स के लिए काम करने वाले संस्थान ऐमनेस्टी ने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के 2.13 मिनट का वीडियो अपने अधिकारिक पेज पर ट्वीट किया है। जिसमें वह कहते दिख रहे हैं कि इस देश में सबके अधिकारों को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा, 'कलाकारों, अभिनेताओं, स्कॉलर्स और कवियों को दबाया जा रहा है। पत्रकारों को भी शांत कराया जा रहा है। धर्म के नाम पर नफरत की दीवारें बनाई जा रही हैं। निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है। देश में क्रूरता और नफरत का माहौल है।'
नसीरुद्दीन शाह ने एमनेस्टी इंडिया गैर सरकारी संस्थाओं के खिलाफ सरकार की कथित कार्रवाई के विरोध में ये वीडियो शुक्रवार को पोस्ट किया। मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था एमनेस्टी के लिए 2.13 मिनट के एकजुटता वीडियो में शाह ने कहा कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की मांग की उन्हें जेल में डाला जा रहा है।
अभिनेता ने कहा कि जो इस ''अन्याय'' के खिलाफ खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें।
उन्होंने उर्दू में एक वीडियो में कहा, ''हमारा देश कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे देश का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई जगह नहीं है, जहां केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुना जाता है और जहां गरीबों तथा सबसे कमजोर लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है।''
एमनेस्टी ने 'अबकी बार मानवाधिकार'' हैशटैग का चलाया कैम्पेन
एमनेस्टी ने 'अबकी बार मानवाधिकार'' हैशटैग के तहत दावा किया कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों की पैरवी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की गई। एमनेस्टी ने कहा, ''चलिए इस नववर्ष हमारे संवैधानिक मूल्यों के लिए खड़े हों और भारत सरकार को बताए कि अब कार्रवाई बंद होनी चाहिए।''
शाह की शुक्रवार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता एनी राजा ने कहा कि अभिनेता ने जो कहा वह सच्चाई है। राजा ने कहा, ''असहमति की कोई जगह नहीं है। यहां तक कि लोकतंत्र की भी कोई जगह नहीं है। हम अपने चारों तरफ हिंसा के रूप में इसका सबूत देख सकते हैं।''
मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा, ''शाह ने अपनी चिंताएं जताई और मुझे उम्मीद है कि लोग इस पर ध्यान देंगे। दुनिया को भी जानने की जरुरत है कि क्या हो रहा है।''
नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के बाद शुरू हुआ सारा विरोध
नसीरुद्दीन शाह ने कहा था, ''हमने बुलंदशहर हिंसा में देखा कि आज देश में एक गाय की मौत की अहमियत पुलिस ऑफिसर की जान से ज्यादा होती है।''
नसीरुद्दीन शाह ने ये भी कहा कि इन दिनों समाज में चारों तरफ जहर फैल गया है। उन्होंने कहा, ''मुझे इस बात का डर लगता है कि अगर कही मेरे बच्चों को भीड़ ने घेर लिया और उनसे पूछा जाए कि तुम हिंदू हो या मुसलमान? मेरे बच्चों के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। आज पूरे समाज में हिन्दू मुस्लिम का जहर फिर से घुल गया है।''
नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘मुझे बचपन में धार्मिक शिक्षा मिली थी। रत्ना (अभिनेता की पत्नी) एक प्रगतिशील घर की थी और उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला और हमने तय किया कि हम अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे क्योंकि मेरा मानना है कि किसी के अच्छे होने या बुरे होने का धर्म से कोई लेना देना नहीं है’ नसीरुद्दीन शाह का अपने बच्चों के लिए भयभीत होना 2015 में आमिर खान द्वारा असहिष्णुता पर दिए गए बयान की ही तरह है। (समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)