जन्मदिन विशेष: कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ गए विख्यात अभिनेता फ़ारूक़ शेख़, गूगल ने भी बनाया खास डूडल
By पल्लवी कुमारी | Published: March 25, 2018 05:11 AM2018-03-25T05:11:43+5:302018-03-25T11:01:15+5:30
बेमिसाल अभियन की छाप छोड़ने वाले फ़ारूक़ शेख़ ने 27 दिसंबर 2013 को दुबई में अचानक ही दुनिया को अलविदा कह दिया
मुंबई, 25 मार्च; फिल्म और रंगमंच के विख्यात अभिनेता फ़ारूक़ शेख़ की आज 70वीं सालगिरह है। गूगल ने फ़ारूक़ शेख़ को समर्पित अपना डूडल बनाया है। ये डूडल आपको ठीक हिंदी सिनेमा के सत्तर और अस्सी की याद दिलाएगा। फारुख शेख का जन्म 25 दिसंबर 1948 को गुजरात में हुआ था। अगर आज वह हमारे बीच होते तो 70 साल के हो जाते। बेमिसाल अभियन की छाप छोड़ने वाले फारुख शेख ने 27 दिसंबर 2013 को दुबई में अचानक ही दुनिया को अलविदा कह दिया था। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।
फ़ारूक़ शेख़ हिंदी सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता के तौर पर पहचान बनाई, जो मुश्किल किरदारों को भी बेहद सहजता से निभा जाते थे। फ़ारूक़ शेख़ फिल्मों के ही नहीं बल्कि रंगमंच के मंझे हुए कलाकार थे। वह नाट्य संस्था 'इप्टा' में कई सालों तक सक्रिय रहे। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा का रूख किया। शेख की पहली फिल्म 1973 में गर्म हवा रिलीज हुई थी। इसके बाद उन्होंने उमराव जान,चश्मे बद्दूर, नूरी, शतरंज के खिलाड़ी, माया मेम साब, कथा, बाजार, रंग बिरंगी जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में जान डाली।
फ़ारूक़ शेख़ ने मुजफ्फर अली, सत्यजित रे, ऋषिकेश मुखर्जी, केतन मेहता और सईं परांजपे जैसे कई निर्देशकों के साथ काम किया। शेख कॉलेज के दिनों में रंगमंच किया करते थे। वह इप्टा के अलावा निर्देशक सागर सरहदी के साथ भी काम करते थे।
शायद आपको ना पता हो लेकिन बेहतरीन अदाकारा शबाना आजमी इनकी कॉलेज मेट थी। ना सिर्फ इन्होंने कॉलेज में साथ में पढ़ाई की है बल्कि नाटकों में साथ में काम भी करती थीं। शेख और शबाना की जोड़ी ने नाटक 'तुम्हारी अमृता' को काफी शोहरत दिलाई।
फारुख शेख का ज्न्म एक खुशहाल परिवार में हुआ था। उनके पिता पिता मुस्तफा शेख मुंबई के एक प्रतिष्ठित वकील थे। मां फरीदा शेख गृहिणी। फारुख ने अपनी पढ़ाई मुंबई के सेंट मैरी स्कूल में की। जहां वे पढ़ाई के साथ कई नाटकों और खेल-कूद की गतिविधियों में भी भाग लेते थे। शेख ने हमेशा कहा है कि उनके भीतर जो संस्कार और सादगी है, वह उनके पिता मुस्तफा शेख के व्यक्तित्व की देन है।