कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' की रिलीज डेट की घोषणा हुई, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका में दिखेंगी अभिनेत्री
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 23, 2024 12:36 PM2024-01-23T12:36:13+5:302024-01-23T12:37:48+5:30
फिल्म पहले 24 नवंबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी लेकिन रनौत के कार्यक्रम में बदलाव के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। फिल्म का निर्माण जी स्टूडियोज और मणिकर्णिका फिल्म्स ने किया है।
Kangana Ranaut’s Emergency Release Date: अभिनेत्री कंगना रनौत की बहुप्रतिक्षित फिल्म 'इमरजेंसी' की रिलीज डेट की घोषणा हो गई है। यह फिल्म 14 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। निर्माताओं ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। इस फिल्म को कंगना ने ही लिखा है और इसका निर्देशन भी किया है। कंगना रनौत इस फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका में दिखेंगी।
कंगना ने एक बयान में कहा, "इमरजेंसी मेरी सर्वाधिक महत्वाकांक्षी फिल्म है और मणिकर्णिका के बाद दूसरी निर्देशित फिल्म है। हमारी इस बड़े बजट, भव्य पीरियड ड्रामा के लिए सर्वश्रेष्ठ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाएं एक साथ आई हैं।"
फिल्म पहले 24 नवंबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी लेकिन रनौत के कार्यक्रम में बदलाव के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। फिल्म का निर्माण जी स्टूडियोज और मणिकर्णिका फिल्म्स ने किया है।
फिल्म में अनुपम खेर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, श्रेयस तलपड़े, विशाक नायर और दिवंगत सतीश कौशिक भी हैं। फिल्म ‘पिंक’ से मशहूर रितेश शाह ने इसकी पटकथा और संवाद लिखे हैं।
इस फिल्म में कंगना को काफी उम्मीदें हैं। इससे पहले रिलीज हुई तेजस कुछ खास नहीं कर पाई थी। तनु वेड्स मनु, क्वीन, गैगस्टर, और मणिकर्णिका जैसी फिल्में दे चुकीं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कंगना पीरियड ड्रामा फिल्म के जरिए उस दौर की कहानी बताएंगी जब देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था और नागरिक अधिकारों का दमन कर दिया गया था। आपातकाल आज भी देश के सबसे बड़े राजनीतिक मुद्दों में से एक है जिस पर चर्चा होती रहती है।
बता दें कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल माना जाता है।