बर्थडे स्पेशल: सुभाष घई का दिया वो नोट जो अंतिम क्षण तक रहा आनंद बख्शी के साथ, पढ़ें इस नायाब हीरे के कुछ खास किस्से

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 21, 2018 07:17 AM2018-07-21T07:17:51+5:302018-07-21T07:17:51+5:30

महान गीतकार का आज जन्मदिन है। पाकिस्तान के रावलपिंडी  शहर में 21 जुलाई 1930 को जन्मे आनंद को उनके रिश्तेदार प्यार से नंद या नंदू कहकर बुलाते थे।

happy birthday anand bakshi: anand bakshi unknown facts about life | बर्थडे स्पेशल: सुभाष घई का दिया वो नोट जो अंतिम क्षण तक रहा आनंद बख्शी के साथ, पढ़ें इस नायाब हीरे के कुछ खास किस्से

बर्थडे स्पेशल: सुभाष घई का दिया वो नोट जो अंतिम क्षण तक रहा आनंद बख्शी के साथ, पढ़ें इस नायाब हीरे के कुछ खास किस्से

आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे, मेरे गीत रे....जैसे अपने सदाबहार गीतों से श्रोताओं को दीवाना बनाने वाले बॉलीवुड के मशहूर गीतकार आनंद बख्शी ने लगभग चार दशक तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया था। ऐसे महान गीतकार का आज जन्मदिन है। पाकिस्तान के रावलपिंडी  शहर में 21 जुलाई 1930 को जन्मे आनंद को उनके रिश्तेदार प्यार से नंद या नंदू कहकर बुलाते थे। आनंद बख्शी उनके परिवार का उपनाम था जबकि उनके परिजनों ने उनका नाम आनंद प्रकाश रखा था। लेकिन फिल्मी दुनिया में आने के बाद आनंद से नाम से उनकी पहचान बनीं। 

नेवी की ज्वाइन

बचपन से ही आनंद का सपना फिल्म इंडस्ट्री में जाने का था। लेकिन उनका परिवार इसके लिए कभी राजी नहीं हुआ। कहते हैं इसके बाद परिवार की इजाजत लिए बिना ही  उन्होंने ने नेवी ज्वाइन कर ली जिससे की आनंद मुंबई आ सकें। वह ज्यादा समय पर नेवी में काम नहीं कर पाए क्योंकि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उन्हें परिवार के साथ लखनऊ जाकर रहना पड़ा।

संघर्ष से भरे करियर की शुरुआत

आनंद बचपन से ही पक्के इरादे रखने वाले थे। ऐसे में नेवी छोड़कर वह नए जोश के साथ मुंबई पहुंचे। जहां एक दिन उनकी मुलाकात उस जमाने के मशहूर अभिनेता भगवान दादा से हुई। भगवान दादा ने उन्हें अपनी फिल्म भला आदमी में गीतकार के रूप में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म के जरिये वह पहचान बनाने में भले ही सफल नहीं हो पाये लेकिन एक गीतकार के रूप में उनके सिने करियर का सफर शुरू हो गया। धीमें धीमें संघर्ष करते हुए आनंद बख्शी का नाम 1967 की फिल्म 'मिलान' के बाद काफी फेमस हो गया और उसके बाद एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट आनंद को मिलने लगे।

100 रुपए का नोट

कहते हैं 100 रुपए का एक खास नोट उनके साथ हमेशा रहा। दरअसल सुभाष घई की फिल्म कर्मा के लिए बख्शी ने दिल दिया है जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए गीत लिखा। इस गीत की पंक्ति सुनकर सुभाष ने उनको इनाम के रूप में 100 रुपये दिए। कहते हैं 1984 का ये गाना जब सुभाष ने सुना तो वह बहुत इमोशनल हो गए और जोश में भावनाओं के साथ बख्शी को तोहफे में 100 का नोट दिया। जैसी की बख्शी की आदत थी जो चीज उनके करीब होती थी वह उनके साथ हमेशा रहती थी। बताया जाता है कि अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आनंद बख्शी ने सुभाष घई के नोट को संभाल कर रखा।

राजेश खन्ना के करियर में योगदान

सुपर स्टार राजेश खन्ना के करियर को बुलंदियों तक पहुंचाने में भी बख्शी का अहम योगदान था। राजेश की फिल्म आराधना में लिखे गाने मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू के जरिये राजेश तो सुपर स्टार बने ही।  आनंद ने इसके बाद भी कई गानों को राजेश के नाम लिखे।

बख्शी का करियर

चार दशक तक फिल्मी गीतों के बेताज बादशाह रहे आनंद बख्शी ने 550 से भी ज्यादा फिल्मों में लगभग 4000 गीत लिखे। आनंद 30 मार्च 2002 को इस दुनिया को अलविदा कह गये। नंद को मिले सम्मानों को देखा जाये तो उन्हें अपने गीतों के लिये 40 बार फिल्म फेयर अवार्ड के लिये नामित किया गया था लेकिन इस सम्मान से चार बार ही उन्हें  नवाजा गया।
 

Web Title: happy birthday anand bakshi: anand bakshi unknown facts about life

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