'व्हाट इज मोबाइल' नंबर चलता है तो आज भी नजरें गोविंदा पर ठहरती हैं
By भारती द्विवेदी | Published: December 21, 2017 02:18 AM2017-12-21T02:18:34+5:302017-12-21T08:42:43+5:30
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बॉलीवुड में एक्सप्रेशन, डांस, कॉमेडी, एक्शन इन सारी क्वालिटी के लिए अलग-अलग हीरो-हीरोइन का नाम दिमाग में आता है। लेकिन गोविंदा इकलौते एक ऐसे हीरो हैं, जिनमें ये सारी खूबियां आपको एक साथ मिलती हैं। मां-मासी की भाषा में कहे तो सर्वगुण संपन्न हीरो। 21 दिसंबर 1963 को पैदा हुए गोविंदा अहूजा को दर्शक गोविंदा या 'चींचीं' के नाम से जानते हैं। गोविंदा के माता-पिता दोनों ही 40 और 50 के दशक के हीरो-हीरोइन थे। पिता अरुण कुमार अहूजा अपनी फिल्म 'औरत' के लिए मशहूर हुए थे। मां निर्मला देवी हीरोइन होने के साथ 'पटियाला घराने' की क्लासिकल सिंगर थीं। गोविंदा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1986 में अपने चाचा की फिल्म 'तन-बदन' से की थी। लेकिन इनकी पहली रिलीज फिल्म 'इल्जाम' थी। अपने तीन दशक लंबे फिल्मी करियर में गोविंदा ने लगभग 165 फिल्मों में काम किया है। एक्शन, कॉमेडी और फैमिली ड्रामा पर गोविंदा की खास पकड़ रही है।
वो गाने जिसने गोविंदा को डांस-एक्सप्रेशन का बादशाह बनाया
कोई सिर्फ चेहरे से डांस करता है, कोई कमर से करता है तो किसी के सिर्फ पैर थिरकते हैं। लेकिन गोविंद वो डांसिंग स्टार हैं, जब वो डांस करते हैं तो लगता है पैर के नाखून से लेकर सर के बाल तक डांस स्टेप कर रहे हैं। 'मैं तो रास्ते से जा रहा था', 'किसी डिस्को में जाएं', 'मैं लैला-लैला चिल्लाऊंगा', 'आधी कमरिया से साड़ी', 'मेरी मर्जी', 'नीचे फूल की दुकान', 'व्हाट इज मोबाइल नंबर', 'गोरी तेरे नैनों में हम बस जाते', 'अंखियों से गोली मारे' ये सारे वो गाने हैं जिसे गोविंदा अपने डांस मूव्स और चेहरे के एक्सप्रेशन से यादगार बना डाला।
कॉमेडी टाइमिंग जिन्हें देखकर आप आज भी लोट-पोट होते हैं
आज भले हम सबको हंसने के लिए कॉमेडी शो का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन 90 की दशक में गोविंदा डांसिंग के अलावा कॉमेडी के मामले भी नंबर वन थे। हालांकि उनके गानों और फिल्मों की लिस्ट बहुत लंबी है लेकिन 'आंखे', 'राजा बाबू', 'हीरो नंबर-1', 'कूली नंबर-1', 'पार्टनर', 'दूल्हे राजा', 'हसीना मान जाएगी' ये गोविंदा की कुछ चुनिंदा फिल्मों के नाम हैं जिनमें उनकी कॉमिक टाइमिंग देखते बनती हैं। इन फिल्मों के देखते वक्त आप चाहकर भी अपनी हंसी से नहीं रोक नहीं सकते हैं।
एक्शन और रोमांस में भी बेजोड़ रहे हैं
1992 में दिव्या भारती के साथ 'शोला और शबनम' और 1997 में ममता कुलकर्णी के साथ फिल्म 'नसीब' में गोविंदा का एक्शन प्लस रोमांस लोगों को खूब भाया था। इसके अलावा 'दुलारा', 'हत्या', 'छोटे सरकार', 'आवारगी' जैसी फिल्मों भी गोविंदा एक्शन सीन करते दिखें हैं। जितना सहज गोविंद डांसिंग और कॉमेडी में दिखते हैं उतने सहजता से एक्शन में भी छाप छोड़ी है।