Ujda Chaman Movie Review: फिल्म 'उजड़ा चमन' कहीं उजाड़ न दे सनी सिंह का करियर, दमदार नहीं है इसकी कहानी

By ज्ञानेश चौहान | Published: October 31, 2019 11:51 AM2019-10-31T11:51:03+5:302019-10-31T11:52:19+5:30

'उजड़ा चमन' में सनी सिंह को अपनी अदाकारी दिखाने का बड़ा मौका था लेकिन ये उनके हाथों से निकल गया। फिल्म के बाकी किरदारों की बात करें तो गौरव अरोड़ा, करिश्मा शर्मा, ऐश्वर्या सखूजा ने भी अपने किरदारों से न्याय किया है।

Film ujda chaman movie review in hindi sunny singh film | Ujda Chaman Movie Review: फिल्म 'उजड़ा चमन' कहीं उजाड़ न दे सनी सिंह का करियर, दमदार नहीं है इसकी कहानी

Ujda Chaman Movie Review: फिल्म 'उजड़ा चमन' कहीं उजड़ा न दे सनी सिंह का करियर, दमदार नहीं है इसकी कहानी

Highlightsस्क्रीनप्ले और डायलॉग राइटर दानिश खान 'बाल नहीं, तो लड़की नहीं' की इस एक लाइन पर ही अटक गए हैं।फर्स्ट हाफ में तो सिर्फ चमन के गंजेपन का मजाक उड़ाने के ही सीन हैं, जो जबरदस्ती ठूंसे हुए लगते हैं।

जवानी में ही गंजेपन की समस्या पर आधारित फिल्म 'उजड़ा चमन' को लोकमत की बॉलीवुड टीम 5 में से सिर्फ 2.5 स्टार दे रही है। ऐसा क्यों? ये आपको इस रिव्यू में पता चल ही जाएगा। अभिषेक पाठक के निर्देशन में बनी फिल्म 'उजड़ा चमन' में इस बात पर फोकस किया गया है कि प्यार के लिए इंसान की सूरत नहीं, सीरत देखी जानी चाहिए। लेकिन अभिषेक ने इस गहरी बात को कहने के लिए ऐसी लाउड कॉमेडी का सहारा लिया है कि यह मर्म कहीं दबकर रह जाता है। फिल्म की पूरी कहानी देखकर तो ये लग रहा है कि ये फिल्म कहीं सनी सिंह का करियर ही न उजाड़ दे।

फिल्म 'उजड़ा चमन' साल 2017 की हिट कन्नड़ फिल्म 'ओंडू मोट्टेया कठे' का रीमेक है। फिल्म 'उजड़ा चमन' दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज के 30 वर्षीय हिंदी लेक्चरर चमन कोहली (सनी सिंह) की दुख भरी दास्तान है, जो गंजा होने के कारण हर किसी की हंसी का पात्र बनता है। यही नहीं, सबसे बड़ी समस्या यह है कि गंजेपन के कारण उसकी शादी नहीं हो रही है।

वो लड़की पाने को लेकर इतना उत्सुक है कि हर लड़की पर ट्राई करता है। वो गंजा है लेकिन उसका सपना है कि उसकी खूबसूरत सी बीवी हो। 30 साल के चमन कोहली (सनी सिंह) को गंजापन उनके दादा जी की वजह से मिला है। उसकी कुंडली देखकर पंडित ने कहा कि अगर उसकी शादी 31वें जन्मदिन से पहले नहीं हुई तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा।

बस फिर क्या चमन कोहली लड़कियों को सर्च करने में बिजी हो जाता है। वह अपने लिए लड़की तलाशने के लिए कॉलेज की कुलीग से लेकर दोस्त की शादी में आई लड़कियों, सब पर चांस मारता है। वहीं अपने गंजेपन को छिपाने के लिए विग लगाने से लेकर ट्रांसप्लांट तक की सोचता है, लेकिन बात नहीं बनती। जैसे-तैसे अप्सरा (मानवी गगरू) के रूप में उसे एक लड़की मिलती है, जो उससे शादी करने को तैयार है, लेकिन वह चमन के ख्वाबों की अप्सरा नहीं है। ऐसे में, कहानी क्या मोड़ लेती है, यह फिल्म देखकर पता चलेगा।

बाहरी आकर्षण को ही तवज्जो देने वाले भारतीय समाज में कम उम्र में गंजापन किसी के लिए कितनी बड़ी मुश्किल और हीनता का सबब हो सकता है, फिल्म में यही दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन स्क्रीनप्ले और डायलॉग राइटर दानिश खान 'बाल नहीं, तो लड़की नहीं' की इस एक लाइन पर ही अटक गए हैं। वे इसे लेयर्ड नहीं बना पाए हैं। फर्स्ट हाफ में तो सिर्फ चमन के गंजेपन का मजाक उड़ाने के ही सीन हैं, जो कई बार जबरदस्ती ठूंसे हुए लगते हैं।

ऐसा लगता है कि हंसराज कॉलेज में सारे स्टूडेंट्स जैसे सिर्फ चमन का मजाक उड़ाने ही आते हैं, यहां तक कि कॉलेज का प्रिसिंपल तक इतना भ्रष्ट है कि एक हजार रुपए के लिए खुद अपने स्टूडेंट से लेक्चरर की बेइज्जती करने को कहता है। ये सीन्स फनी नहीं, बेतुके और अनरियलिस्टिक लगते हैं, जिस वजह से चमन की परेशानी सच्ची नहीं लगती।

'उजड़ा चमन' में सनी सिंह को अपनी अदाकारी दिखाने का बड़ा मौका था लेकिन ये उनके हाथों से निकल गया। फिल्म के बाकी किरदारों की बात करें तो गौरव अरोड़ा, करिश्मा शर्मा, ऐश्वर्या सखूजा ने भी अपने किरदारों से न्याय किया है। फिल्म का म्यूजिक कुछ खास प्रभावी नहीं है। बाकी अब आप इस फिल्म को देखकर ये तय कर पाएंगे कि आपको ये फिल्म कैसी लगी।

Web Title: Film ujda chaman movie review in hindi sunny singh film

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